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Dungarpur शहरी क्षेत्र के रेत स्टैण्ड तथा, मांडवा व तिजवड़ में पानी की आवक के मार्गों पर अतिक्रमण

 
Dungarpur शहरी क्षेत्र के रेत स्टैण्ड तथा, मांडवा व तिजवड़ में पानी की आवक के मार्गों पर अतिक्रमण 

डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, डूंगरपुर शहरी पर्यटन व आकर्षण के मुख्य केन्द्र गेपसागर झील के कैचमेंट एरिया को अब जिला प्रशासन अतिक्रमण मुक्त करने के लिए गंभीर हो चुका है। एसडीएम नीरज मिश्र ने नगर परिषद को पत्र जारी कर इसके जलआवक मार्गों पर कच्चे-पक्के, स्थाई-अस्थाई अतिक्रमणों की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए नगर परिषद के एईएन, दो जेईएन व सेनेटरी इंस्पेक्टर के साथ-साथ पटवारी व भू-अभिलेख निरीक्षकों को भी लगाया है। एसडीएम ने यह रिपोर्ट गत 7 जून को  प्रकाशित, गेपसागर के जलआवक रास्तों पर दो साल में 100 से ज्यादा अतिक्रमण हो गए, सूखने की कगार पर झील, हैडिंग के समाचार पर मांगी है।

9 जून यानी सोमवार को यह रिपोर्ट एसडीएम को पेश की जाएगी। इसके बाद जलआवक मार्गों से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू की जाएगी। गेपसागर के जलआवक मार्गों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण से इसके बरसाती नाले छोटी नालियों में तब्दील हो चुके हैं। कई आवक मार्ग का अस्तित्व मिट चुका है। इससे झील का आकार भी सिमटने लगा है। जलआवक मार्ग नगर परिषद क्षेत्र के अलावा गोकुलपुरा, बिलडी, मांडवा और तिजवड़ में हैं। इन मार्ग पर ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिवों द्वारा निर्माण स्वीकृतियां देने से मकान बन चुके हैं। नालों को पाट दिया गया है। यहीं हाल शहर के रेती स्टैंड से तीजवड़ से होकर गेपसागर झील में आ रहे जलआवक मार्गों का है। नगर परिषद अधिकारी भी हर साल अतिक्रमणों को हटाने के लिए सिर्फ कागजी कार्यवाही करते हैं, मौके पर अतिक्रमण हटाने कभी नहीं जाते हैं। ^ गेपसागर झील डूंगरपुर का मुख्य आकर्षण होने के साथ ही यहां की एतिहासिक धरोहर है। इसे संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए नगर परिषद की मुख्य जिम्मेदारी होने के साथ ही जिला प्रशासन का भी दायित्व है।

अगर अतिक्रमणों को हटाने के लिए नगर परिषद संतोषजनक कार्यवाही नहीं करती है तो जिला प्रशासन इसमें संज्ञान लेकर अपने स्तर से कार्यवाही करेगा। नीरज मिश्र, एसडीएम, डूंगरपुर तथ्यात्मक रिपोर्ट के आधार पर गेपसागर झील के जलआवक मार्गों पर अवैध अतिक्रमणों को चिन्हित किया जाएगा। इसमें अगर कहीं ग्राम पंचायतों व नगर परिषद के द्वारा दिए पट्टे मिलते हैं तो दोनों से इसका जबाव मांगा जाएगा। क्योंकि झील के जलआवक मार्गों पर किसी भी प्रकार की स्थाई, अस्थाई अतिक्रमण नहीं कर सकते हैं तथा पट्टे नहीं दिए जा सकते हैं। अगर पट्टे दिए गए हैं तो ये कानून सम्मत नहीं माने जाएंगे। ऐसे में इन पट्टों को अवैध मानते हुए निरस्त करने की कार्यवाही की जा सकती है।