Dungarpur परोपकारी लोगों के सहयोग से शिक्षा ने एक छलांग आगे बढ़ाई
डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, डूंगरपुर मुश्किल नहीं, गर जो ठान लीजिए...। यह पंक्तियां सटीक साबित होती है देश के उन राष्ट्र निर्माताओं पर जो तमाम चुनौतियों को स्वीकार करने के बावजूद देश की भावी पीढ़ी को संवारने में दिन रात एक कर देते हैं। इसीलिए कहा भी जाता है कि शिक्षक उस दीपक समान है, जो स्वयं जलकर अपने विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षा का उजियारा फैलाता है। सरकारी विद्यालयों में अब अध्यापन करवाते हुए शत-प्रतिशत परिणाम रखना उल्टी धारा में बहने के समान हो गया है। वर्ष पर्यन्त गैर शैक्षिक कार्यों का बोझ, सीमित संसाधन, बजट का टोटा और रिक्त पदों की भरमार के बावजूद कुछ शिक्षक शिक्षालयों की सूरत सजा देते हैं। यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को भविष्य संवारने में अपना अहम् किरदार निभाते हैं। जिले में भी ऐसे कई शिक्षक हैं, जो अपने कर्म को पूजा माना और शिक्षा को एक नया मुकाम दिया है। शिक्षक दिवस पर बानगी के तौर पर तीन शिक्षकों के नवाचारों एवं उनके योगदान को करते हैं .
चुनौतियों को स्वीकारा, विद्यालय का रुप निखारा
खंडहरहाल सरकारी भवन, बारिश के साथ ही दीवारों से रिसता पानी और छतों से होती झमाझम। ये हाल साबला ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय क्यावड़ी के थे। पर, विद्यालय के शिक्षक सुनील जोशी ने तमाम गैर शैक्षिक कार्यों, चुनौतियों को स्वीकार किया और कुछ ही समय में विद्यालय की सूरत बदल दी। आज यह निजी विद्यालयों से भी बेहतर एक आदर्श विद्यालय है। जोशी केवल विद्यालय भवन की दशा बदलने तक ही नहीं रुके। उन्होंने विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर में इजाफे के लिए भी दिन-रात एक कर दिया। शिक्षक के इसी जोश को देखते हुए विद्यालय को भामाशाहों का भरपूर सहयोग मिला। विद्यालय में चारदीवारी, ईएलडी, कम्प्यूटर, पुस्तकालय, खेल किट, चाइना मौजेक, किचन गार्डन, मां शारदे मंदिर निर्माण के साथ ही कक्षा-कक्षों को विद्यार्थियों के अनुकूल बनाया। शिक्षक की ऐसी ही दृढ़ इच्छा शक्ति के लिए कई पुरस्कार भी मिले हैं।