Dungarpur किसानों ने की 92 फीसदी खरीफ की फसलों की बुवाई
डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, जिले में पिछले दो सालों से फसल खराबे की मार झेल रहे किसानों की चिंता इस बार भी बढ़ती जा रही हैं। इसका कारण मानसून सत्र में सामान्य से भी कम बरसात अब तक हुई है। किसानों ने पूरी उमीद के साथ खरीफ फसलों की बुवाई में जोर लगाया था, लेकिन आसमान में छा रहे बादल बरस नहीं रहे, जिससे किसानों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। अब तक जिले जुलाई माह में औसत बारिश 245 एमएम ही दर्ज होने से फसलों पर पड़ते असर को देखते हुए किसान व आमजन गांवों में हवन-यज्ञ सहित विभिन्न टोटकों से बरसात की कामना करने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि जुलाई माह में काश्तकारों ने लगभग 92 प्रतिशत खरीफ की फसल की बुवाई कर दी है। अब बरसात का इंतजार हैं। जिले की औसत बरसात 850 एमएम है, जिसके मुकाबले अब तक बेहद कम बरसात हुई हैं।
कूप, बोरवेल भी सूखे
जिले में अभी भी पर्याप्त बारिश नहीं होने से कई काश्तकारों के कूप व बोरवेल सूख चुके है। ऐसे में सिंचाई के लिए पानी का इंतजाम नहीं होने से फसलों को भी नुकसान की आशंका है।
किसान फसलों को बचाने के लिए वह आस पास के गांवों से टैंकर से पानी की व्यवस्था में जुटे हुए है। इधर, किसान पहले से ही परेशानी के बीच फंसा हुआ है। अव्वल तो काश्तकारों को इस बार बीज सब्सिडी पर उपलब्ध नहीं हुआ है। इसलिए उन्होंने बाजार से ऊंचे दामों पर बीज खरीदा है। अब बरसात नहीं हेाने से किसान भारी नुकसान को लेकर आशंकित हैं।
साबला. मौसम की बेरुखी के चलते बारिश नहीं होने से काश्तकारों के चहरे पर चिंता की लकीरें साफ उभरी नजर आ रही है। बारिश को लेकर पूजा अर्चना सहित धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे है। काश्तकारों ने खेतों का रुख करते हुए बोई हुई फसलों में खरपतवार कर यूरिया खाद डाल गुड़ाई की जा रही हैं। काश्तकारों ने बताया कि फसलों के जड़ में खाद छोड़कर गुड़ाई करने से पौधे में पोषक तत्व मिलने के अलावा गुड़ाई से जड़ में नमी बनी रहे। ताकि जीवित रह सके।
किसानों को चिंता सता रही है कि जल्द ही बारिश नहीं हुई, तो लाखों रुपए की खाद, बीज राख हो जाएगा। वहीं, आजीविका भी प्रभावित होगी।