Dungarpur 14 वर्ष पूर्व क्रमोन्नत स्कूलों को नहीं दिए अनिवार्य विषयों के व्याख्याता

डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, डूंगरपुर सरकार वोट बैंक साधने के लिए समय-समय पर आंख बंद कर प्रदेश के सरकारी स्कूलों को क्रमोन्नत कर रही हैं। पर, उन विद्यालयों में क्रमोन्नति के बाद नामांकन के हिसाब से पद ही सृजित नहीं कर रही है।ऐसा ही मामला प्रदेश में करीब 14 वर्ष से क्रमोन्न हुए राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में सामने आया है। इन विद्यालयों में क्रमोन्नति के बाद से अनिवार्य विषयों हिंदी एवं अंग्रेजी विषयों के व्याख्याताओं के पद ही सृजित नहीं किए हैं। अनिवार्य विषयों के व्याख्याताओं के रिक्त पदों का वनवास भोगते इन विद्यालयों में वरिष्ठ अध्यापकों के कांधों पर ही व्याख्याताओं का भी जिम्मा थोप रखा है। ऐसे में प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में अध्यापन की नाव बिन व्याख्याताओं के डोल रही है।
पदोन्नति से परेशानी
प्रदेश में हाल ही में वरिष्ठ अध्यापकों की पदोन्नति से नवक्रमोन्नत करीब 14 हजार उमावि में अनिवार्य अंग्रेजी व हिन्दी विषय पढ़ाने की नई समस्या खड़ी होगी।यहां अनिवार्य विषयों के व्याख्याताओं के पद ही सृजित नहीं है। ऐसे में इन विद्यालयों में फिलहाल अंग्रेजी व हिन्दी विषय के वरिष्ठ अध्यापक ही कक्षा 11 व 12वीं कक्षा में अनिवार्य विषयों का अध्ययन करवा रहे हैं। अब पदोन्नति के साथ ही उनका पदस्थापन अन्य स्कूलों में होना भी तय माना जा रहा है। ऐसे में पदोन्नति के बाद नवक्रमोन्नत इन विद्यालयों में अनिवार्य विषयों की पढ़ाई प्रभावित होगी।नई डीपीसी से प्रदेश में अंग्रेजी के 1308 और हिन्दी के 2850 वरिष्ठ अध्यापकों के पद रिक्त होंगे। वहीं, अंग्रेजी व हिन्दी के व्याख्याता व वरिष्ठ अध्यापक रहित स्कूलों की संख्या करीब मोटे अनुमान के मुताबिक 14 हजार हो जाएगी।
अंग्रेजी में आ रही अड़चन अधिक
नव क्रमोन्नत इन स्कूलों में अनिवार्य अंग्रेजी विषय पढ़ाने की समस्या अधिक होगी। वैकल्पिक विषय के रूप में अंग्रेजी विषय कम ही स्कूलों में होने की वजह से वहां अंग्रेजी के व्याख्याता भी नहीं है। वहीं, पदोन्नति होने पर अंग्रेजी के वरिष्ठ अध्यापक भी दूसरे स्कूल में नियुक्त हो जाएंगे। ऐसे में अनिवार्य अंग्रेजी विषय की पढ़ाई इन स्कूलों में सबसे बड़ी चुनौती बनेगी। अब मार्च माह में बोर्ड परीक्षा भी होगी। ऐसे में इन नवक्रमोन्नत विद्यालयों में अध्यनरत छात्र-छात्राओं को इन अनिवार्य विषयों के अध्यापन को लेकर चिंता की लकीरें बढ़ रही है।