Dungarpur स्काउट-गाइड प्रशिक्षण को अनिवार्य करने का फरमान रातों की नींद उड़ा देता है

डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, डूंगरपुर प्रदेश में शिक्षक बनने की राह पर चल रहे बीएड प्रशिक्षणार्थियों के लिए अब स्काउट -गाइड का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा। अब तक इस प्रशिक्षण की अनिवार्यता डीएलएड में थी। अब इसे बीएड में भी लागू कर दिया हैं, जिससे कतिपय प्रशिक्षण संस्थाओं की नींद उड़ गई हैं।प्रशिक्षण को लेकर गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के आदेश के बाद राजस्थान राज्य भारत स्काउट गाइड जिला मुख्यालयों ने कवायद शुरू कर दी हैं। जानकारी के अनुसार स्काउट-गाइड आधारभूत जानकारी के लिए सात दिवसीय वार्षिक प्रशिक्षण होगा। जीजीटीयू ने बांसवाड़ा, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़ के समस्त इंटीग्रेटेड एवं दो वर्षी ंय बीएड के प्रथम वर्ष के लिए स्काउट-गाइड का बेसिक कोर्स अनिवार्य कर रखा हैं। कोर्स के लिए बकायदा अतिरिक्त शुल्क देनी होगी। इसके लिए पंजीयन के 80, विकास के 200 , साहित्य के 70 एवं शिविर शुल्क 1400 सहित करीब 1750 रुपए तय हैं। कुल 1800 रुपए प्रति व्यक्ति राज्य व मंडल मुख्यालय के निर्देशानुसार शिविर के दस दिनों से पूर्व महाविद्यालय की ओर से जमा कराने होंगे। इसके अलावा शिविर के लिए आवश्यक गणवेश एवं अन्य इंतजामात के साथ प्रशिक्षणार्थियों को पहुंचना होगा।
प्रशिक्षणार्थियों को शिविर में भाग लेने से पूर्व अभिभावक का हस्ताक्षरयुक्त रिस्क सर्टिफिकेट भी देना होगा। इसके साथ ही मेडिकल प्रमाण पत्र भी अनिवार्य रूप से देना होगा। सूत्रों के कतिपय संस्थाओं में प्रशिक्षणार्थियों की नियमितता नहीं हैं। कुछेक को अपने स्तर पर भी संस्था संचालकों ने छूट दे रखी हैं। ऐसे में अब स्काउट गाइड प्रशिक्षण में इनकी नियमितता को लेकर संस्थान व प्रशिक्षणार्थी ं उलझन में है। सीओ स्काउट बांसवाड़ा दीपेश शर्मा ने बताया कि 15 जनवरी से 17 मार्च तक इंटीग्रेटेड के एवं इसके बाद दो वर्षी ंय बीएड के प्रशिक्षण शुरू किए जाएंगे। एसटीसी में पहले से ही प्रशिक्षण का प्रावधान रखा है, ऐसे में अब इस वर्ष से विश्वविद्यालय ने बीएड में अनिवार्य किया है। नियमानुसार प्रशिक्षण आयोजित कराए जाएंगे। सीओ स्काउट डूंगरपुर सुनील सोनी का कहना है कि 10 जनवरी से प्रशिक्षण शुरू कर दिए गए।
एक तर्क यह भी: ऐच्छिक होना चाहिए
शिविर ऐच्छिक न रखकर अनिवार्य करने से अंदरखाने में कुछ जगह विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ कॉलेज संचालकों का कहना है कि स्काउट-गाइड प्रशिक्षण अनिवार्य करना उचित नहीं हैं। कोर्स की आड़ में हजारों अभ्यर्थियों की जेब ढीली होगी। इसे ऐच्छिक रखा जाना चाहिए। इसके अलावा रिस्क सहित अन्य मामलों में भी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास भी ठीक नही हैं। विश्वविद्यालय को एक बार फिर से पूरे मामले में विचार कर प्रशिक्षणार्थियों के हित में निर्णय लेना चाहिए।