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Dungarpur कुर्सियां खाली, शिक्षा की गाड़ी कैसे आगे बढ़े?

 
Dungarpur कुर्सियां खाली, शिक्षा की गाड़ी कैसे आगे बढ़े?

डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क, डूंगरपुर दक्षिणी राजस्थान का डूंगरपुर जिला शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ आंका जाता है। यहां के राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पद तो कोढ़ की खाज बने हुए हैं। पर, अब यह जिला शिक्षाधिकारियों के टोटे का भी दंश झेल रहा है। स्थितियां यह है यहां शिक्षाधिकारी के पद रिक्त होने के साथ ही भर ही नहीं रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग के शैक्षिक-सहशैक्षिक के साथ ही विभिन्न कार्य खासे प्रभावित हो रहे हैं। जिला मुख्यालय पर मुख्य पद रिक्त होने से एक अप्रेल से शिक्षा महकमों के सभी बड़े पदों का चार्ज एक ही अधिकारी रणछोड़लाल डामोर के पास आ गए हैं। इनके पास पूर्व में ही समसा एडीपीसी का चार्ज है। इसके साथ ही अब सीडीईओ, डीईओ माध्यमिक, प्रारंभिक और डाइट प्रधानाचार्य का भी चार्ज आ गया है। जबकि, एडीपीसी समसा स्वयं भी न्यायालय द्वारा प्राप्त स्थगन के आधार पर कार्यरत है।

ओटीपी डालेगा अड़चन

शिक्षा विभाग के विभिन्न कार्य फिलहाल एसएनए पोर्टल के माध्यम से ही होते हैं। इसमें एमडीएम, छात्रवृत्ति, टीए बिल सहित ढेरों कार्य होते हैं। इनमें प्रत्येक कार्य के लिए जिम्मेदार अधिकारी के मोबाइल पर ओटीपी आती है। इस ओटीपी के आधार पर ही कार्य का सत्यापन होता है। विभागीय जानकारों का कहना है कि पांच विभागों के इन कार्य एक ही अधिकारी के पास होने पर दिन में कम से कम 100 ओटीपी आएगी और ओटीपी की समय सीमा तय होती है। ऐसे में ओटीपी लेने वाले कार्मिकों को काफी दिक्कत आएगी।

यह पद भी रिक्त

जिला मुख्यालय के साथ ही ब्लॉक मुख्यालय के शिक्षा कार्यालयों के भी हाल बेहाल हैं। आसपुर, साबला, गलियाकोट व दोवड़ा में सीबीईओ के पद रिक्त हैं। ऐसे में वहां एसीबीईओ दोहरी जिम्मेदारी झेल रहे हैं। इसके साथ ही सागवाड़ा, डूंगरपुर और चीखली में कार्यरत सीबीईओ न्यायालय स्थगन के आधार पर टीके हुए हैं।

यहीं रहेंगे हालात

प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 के तहत 04 जून तक आचार संहिता रहेगी। इसके बाद केन्द्र में नई सरकार बनने के बाद प्रदेश की सरकार एक बार फिर पटरी पर आएगी। ऐसे में जुलाई माह तक जिले के हाल कमोबेश यही रहने का पूरी संभावना है। गौरतलब है कि पूर्व में भी जिले में शिक्षा अधिकारियों के