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होलिका दहन के बाद राजस्थान के इस गांव में अग्नि परीक्षा, जानिए आखिर क्यों दहकते हुए अंगारों पर चलते है लोग ?

 
होलिका दहन के बाद राजस्थान के इस गांव में अग्नि परीक्षा, जानिए आखिर क्यों दहकते हुए अंगारों पर चलते है लोग ? 

डूंगरपुर न्यूज़ डेस्क - देशभर में रंगों का त्योहार होली मनाया जा रहा है। लेकिन डूंगरपुर जिले के एक गांव की परंपरा अनोखी है। डूंगरपुर जिले के कोकापुर गांव में लोग होली के जलते अंगारों पर चलते नजर आए। होलिका दहन के दूसरे दिन शुक्रवार सुबह गांव में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। ढोल-नगाड़ों के साथ होलिका की पूजा के बाद यह परंपरा निभाई गई। दरअसल, गांव में यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है। परंपरा के अनुसार सबसे पहले होली माता की पूजा की गई। फिर ढोल-नगाड़ों के साथ होली दर्शन के बाद गांव के सभी युवा और बुजुर्ग होली के जलते अंगारों पर नंगे पैर चले। जलते अंगारों पर चलते हुए ये लोग होली माता के जयकारे लगाते रहे।

ढोल-कुंडी की थाप पर खेली गई गैर
आज शुक्रवार सुबह से ही गांव के लोग ढोल-कुंडी के साथ गांव के होली चौक पर एकत्र हुए। लोगों ने गांव के हनुमान मंदिर और शिव मंदिर में दर्शन-पूजन किया। इसके बाद लोग ढोल-कुंडी की थाप पर गैर बजाते हुए पास के होली चौक पहुंचे। सबसे पहले लोगों ने होलिका के दर्शन किए और फिर होली की धधकती आग में नारियल चढ़ाए।

मान्यता- गांव में नहीं आती कोई विपत्ति
लोगों ने होलिका से प्रार्थना की कि वह जलते अंगारों पर चले। फिर कुछ ही देर में गांव के युवा और बुजुर्ग नारे लगाते हुए नंगे पैर चलने लगे। इस दौरान न तो किसी को चोट लगी और न ही अंगारों पर चलने में उन्हें कोई परेशानी हुई। दरअसल, इसके पीछे मान्यता यह है कि होलिका दहन के बाद जलते अंगारों पर चलने से गांव में कोई विपत्ति नहीं आती। ग्रामीणों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।