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Dungarpur चयन के बाद एक किसान को अधिकतम 1.5 मीट्रिक टन जिप्सम मिल सकेगा

 
Dungarpur चयन के बाद एक किसान को अधिकतम 1.5 मीट्रिक टन जिप्सम मिल सकेगा

डूंगरपुर  न्यूज़ डेस्क,  डूंगरपुर प्रदेश में क्षारीय मिट्‌टी की सेहत सुधारने के लिए अब सरकार किसानों को मुफ्त में जिप्सम उपलब्ध करवाएगी। जिप्सम के उपयोग से फसलों के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी। सरकार की बजट घोषणा के तहत इससे प्रदेश के करीब 20 हजार किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। हर जिले के लिए सरकार ने जिप्सम निशुल्क वितरण का लक्ष्य दिया है।हालांकि अब तक कृषि विभाग को जिप्सम का स्टॉक उपलब्ध नहीं हो पाया है, वहीं रबी फसलों की बुवाई का अधिकतर कार्य भी पूरा हो गया है। फिर भी इसके वितरण से आगामी दिनों में किसानों को इसका फायदा जरूर मिलेगा। किसानों की मांग को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से भी डिमांड भेजी जा चुकी है। निशुल्क जिप्सम के लिए किसान को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। क्षारीय यानी वह मिट्टी जिसमें सोडियम अधिक है तथा पानी भी भरा रहता है। मिट्टी कठोर व हवा-पानी का संचार बंद हो गया है। ऐसी मिट्टी में जिप्सम डालकर उसे उपजाऊ बनाया जा सकता है। क्षारीयता मिटाने के लिए पहले संबंधित खेत की मिट्टी की विभाग की प्रयोगशाला में जांच भी करवाई जानी चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि खेत में कितनी मात्रा में जिप्सम डालनी चाहिए। किसान को राज किसान साथी सुविधा एप पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। एक किसान को अधिकतम 1.5 मीट्रिक टन जिप्सम दी जाएगी। जिप्सम भी लाभार्थियों को एप के माध्यम से वितरित की जाएगी। इसका सत्यापन संबंधित किसान के मोबाइल पर आने वाले ओटीपी नंबर से होगा। जिप्सम का निशुल्क वितरण का लक्ष्य पूरा होने के बाद किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर भी उपलब्ध करवाई जाएगी। किसानों को भूमि सुधार योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन गेहूं के लिए किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर जिप्सम उपलब्ध कराई जाएगी।

इसके लिए भी राजकिसान साथी एप के जरिये ही ऑनलाइन आवेदन करना होगा। योजना के अनुसार प्रति हैक्टेयर 250 किलो जिप्सम पर ही अनुदान दिया जाएगा। जमीन में सोडियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे तत्वों की मात्रा ज्यादा होने व मिट्टी के पीएच स्केल सात अधिकतम से ज्यादा वैल्यू को क्षारीय माना जाता है। क्षारीय मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। क्षारीय मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। क्षारीय मिट्‌टी में पानी का प्रवेश भी कम होता है और बारिश के दिनों में पानी भराव की समस्या भी बनी रहती है। ऐसे में पौधों को पोषक तत्व मिलने में परेशानी होगी है, जिसके कारण पौधों की बढ़वार रूक जाती है तथा पत्तियां सफेद से लाल-भूरी हो जाती है।

ऐसी स्थिति में जिप्सम का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। जिप्सम में सल्फर 13-16 प्रतिशत, क्रिया कैल्शियम 16-19 प्रतिशत होता है। इसका उपयोग मिट्‌टी को सुधारने व उपजाऊ बनाने के लिए किया जाता है। इससे मिट्‌टी का पीएच स्तर नियंत्रित रहता है और उर्वरक शक्ति बढ़ती है। जिप्सम में होता है कैल्शियम व सल्फर : जिप्सम में कैल्शियम और सल्फर होता है। यह पौधों के विकास के लिए जरूरी होता है। कैल्शियम से जड़ों को पोषक तत्व मिलते हैं और सल्फर से फसल का उत्पादन बढ़ता है। जिप्सम से मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्शियम और सल्फर की मात्रा बढ़ती है।

जिप्सम से मिट्टी में जल प्रवेश बढ़ता है और कठोर परत बनने से रुकता है। जिप्सम से तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा बढ़ती है। दलहनी फसलों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है और दाने सुडौल बनते हैं। जिप्सम से खाद्यान फसलों में पौधे अच्छी तरह बढ़ते हैं। किसानों को खेती की मिट्टी की जांच के बाद ही जिप्सम का उपयोग करना चाहिए। जिप्सम की गांठों को तोड़कर खेत में डालने की सलाह दी जा रही है।