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धौलपुर-करौली लोकसभा के लिए 2008 में बनी थी बयाना सीट, जानें इस सीट पर कैसा रहा सियासी इतिहास

 
धौलपुर-करौली लोकसभा के लिए 2008 में बनी थी बयाना सीट, जानें इस सीट पर कैसा रहा सियासी इतिहास 

धौलपुर न्यूज़ डेस्क, लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसे में राजनीतिक दल जोर शोर से तैयारी में जुटे हुए हैं. 1973 में गठित लोकसभा सीट बयाना अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. बता दें बयाना लोकसभा सीट के लिए 1977 में पहला चुनाव हुआ था. बयाना लोकसभा सीट को 2008 में खत्म करके धौलपुर-करौली लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित बनाया गया. बयाना लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को ज्यादा सफलता मिली है. बयाना लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी को साल 1977 से साल 2004 तक के लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो बार 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में जीत मिली है. 

बयाना लोकसभा क्षेत्र में भरतपुर जिले की चार रूपवास, नदबई, बांध और बयाना विधानसभा क्षेत्र और धौलपुर जिले की तीन राजाखेड़ा, धौलपुर और बाड़ी विधानसभा क्षेत्र और दौसा जिले की महुवा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता अपना वोट देकर सांसद को चुनते थे. 1977 के लोकसभा चुनाव में बयाना लोकसभा सीट से श्याम सुन्दर लाल जनता पार्टी के टिकट से लोकसभा का चुनाव लड़ कर जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे थे. श्याम सुन्दर लाल ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी जगन्नाथ पहाड़िया को हराया था. जनता पार्टी के प्रत्याशी श्याम सुन्दर लाल को कुल 2 लाख 13 हजार 862 वोट मिले थे, तो वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी जगन्नाथ पहाड़िया को कुल 97 हजार 174 वोट मिले थे.

1980 में कांग्रेस को मिली थी जीत

इसके बाद 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर जगन्नाथ पहाड़िया पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारा था. जगन्नाथ पहाड़िया भी कांग्रेस पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे और बयाना लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. जगन्नाथ पहाड़िया ने जनता पार्टी के बुद्धिराम लहरी को हराकर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी जगन्नाथ पहाड़िया लोकसभा पहुंचे थे. कांग्रेस प्रत्याशी जगन्नाथ पहाड़िया को कुल 1 लाख 23 हजार 870 वोट मिले थे, वहीं दूसरे नंबर पर रहे जनता पार्टी के प्रत्याशी बुद्धिराम लहरी को कुल 92 हजार 681 वोट मिले थे. वहीं 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने लालाराम केन को अपना प्रत्याशी बनाया था. लालाराम केन ने लोकदल प्रत्याशी श्याम सुन्दर को को हराया था.

1989 से लेकर 2004 बीजेपी की हुई जीत

कांग्रेस प्रत्याशी लालाराम केन को कुल 1 लाख 56 हजार 708 वोट मिले थे, तो वहीं लोकदल प्रत्याशी श्याम सुन्दर को कुल 78 हजार 306 वोट मिले थे. 1984 के बाद कांग्रेस पार्टी की बयाना लोकसभा सीट पर कभी जीत नहीं हुई थी. 1989 से लेकर 2004 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत का परचम फहराया. वहीं 2004 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने रामस्वरूप कोली को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव के मैदान में उतारा था. कांग्रेस पार्टी ने महेन्द्र सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया. 2004 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी की जीत हुई. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रामस्वरूप कोली को कुल 2 लाख 65 हजार 51 वोट मिले थे, तो वही दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र सिंह को कुल 2 लाख 5 हजार 427 वोट मिले थे. 

2008 में बदली गई बयाना सीट

वहीं 2008 के परिसीमन के बाद बयाना लोकसभा सीट को खत्म करके धौलपुर-करौली लोकसभा सीट बनाई गई थी. धौलपुर-करौली लोकसभा क्षेत्र में धौलपुर जिले की चार विधानसभा बाड़ी, बसेड़ी, धौलपुर और राजाखेड़ा क्षेत्र और करौली जिले के भी चार विधानसभा टोडाभीम, हिण्डौन, करौली और सपोटरा विधानसभा के मतदाता अपने वोट देकर सांसद को चुनते है. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में धौलपुर-करौली लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने मनोज राजोरिया को अपना प्रत्याशी बनाया था, तो कांग्रेस ने खिलाड़ी लाल बैरवा को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था.

2009 में कांग्रेस की हुई वापसी

2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी खिलाड़ी लाल बैरवा ने मनोज राजोरिया को हराकर लोकसभा पहुंचे थे. कांग्रेस के खिलाड़ी लाल बैरवा को कुल 2 लाख 15 हजार 810 वोट मिले थे, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी मनोज राजोरिया को कुल 1 लाख 86 हजार 87 वोट मिले थे. फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फिर मनोज राजोरिया को ही अपना प्रत्याशी बनाया और टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा. कांग्रेस ने लक्खीराम को अपना प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी के मनोज राजोरिया की जीत हुई. बीजेपी प्रत्याशी मनोज राजोरिया को कुल 4 लाख 2 हजार 407 वोट मिले तो कांग्रेस के लक्खीराम को कुल 3 लाख 75 हजार 191 वोट मिले थे. 

पिछले चुनाव में हुई बीजेपी की जीत

वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फिर से मनोज राजोरिया पर ही दांव खेला और मनोज राजोरिया को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा. कांग्रेस पार्टी ने संजय कुमार जाटव को टिकट देकर अपना प्रत्याशी बनाया. भारतीय जनता पार्टी के मनोज राजोरिया की फिर जीत हुई और मनोज राजोरिया ने कांग्रेस के संजय जाटव को हराकर लोकसभा पहुंचे. इस मनोज राजोरिया को कुल 5 लाख 26 हजार 643 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी संजय कुमार जाटव को कुल 4 लाख 28 हजार 761 वोट मिले थे. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में किसकी जीत होगी यह समय ही बताएगा, लेकिन प्रमुख दलों द्वारा चुनावी तैयारी जोर शोर से की जा रही है.