Dholpur शिक्षक दिवस विशेष, डिजिटल क्लास रूम में पढ़ रहे बच्चे
धौलपुर न्यूज़ डेस्क, धौलपुर शिक्षक अब शिक्षण कार्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि विद्यालयों का ढांचा भी बदल रहे हैं। जिले में कई सरकारी स्कूलों में जाने पर लगता नहीं कि इन्हें सरकार संचालित कर रही है। वे किसी निजी स्कूल की तरह दिखाई देते हैं। विद्यालय की दीवारों पर चित्रकारी से लेकर बढिय़ा फर्नीचर तक मौजूद हैं। इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे भी निजी स्कूलों की तर्ज पर डिजिटल क्लास रूम में देश-दुनिया का ज्ञान ले रहे हैं। ये संभव हुआ है शिक्षकों के विद्यालय से लगाव और सरकारी स्कूलों की आमजन में सोच बदलने को लेकर उनके प्रयासों से। अब ये विद्यालय शिक्षा विभाग की पहचान बन चुके हैं। इन शिक्षकों की सोच से अब दूसरे विद्यालय भी प्रेरणा ले रहे हैं। अन्य विद्यालयों में भी भामाशाहों की मदद से कार्य करवाए जा रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि हर चीज के लिए सरकार के भरोसे नहीं रह जा सकता। अपने स्तर भी करने की जरुरत है।
सीसीटीवी कैमरे प्रत्येक गतिविधि पर नजर
आगरा रोड स्थित पीएम श्री महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल शेरपुर के संस्था प्रधान राजेश शर्मा ने भामाशाहों की मदद से स्कूल की सूरत ही बदल दी। बता दें कि सत्र 2014 में 30 से कम नामांकन की बजह से एकीकरण के तहत बंद होने के बाद शेरपुर स्कूल में वर्तमान में सवा चार सौ का नामांकन है।
बिना छुट्टी किए स्कूल पहुंच रहे बच्चे
शहर के नजदीक राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामधन का पुरा ने निजी स्कूलों को पीछे छोड़ दिया है। संस्था प्रधान परवेश खां स्कूल में हर साल संसाधन बढ़ाने को लेकर मेहनत करते दिख जाएंगे। पहले उन्होंने खुद के वेतन से खर्च किया। फिर उन्हें देख आसपास के भामाशाहों ने मदद का हाथ बढ़ाया। स्कूल के बंद पड़े विद्युत कनेक्शन को शुरू करवाया। साथ ही कमरों में पंखे, बैठने के लिए कारपेट, ग्रीन बोर्ड, लेजर प्रिंटर, इन्वर्टर, स्मार्ट टीवी, डाइस और विद्यालय में फव्वारा लगवाया।
विद्यालय में कराए 13 लाख के कार्य
धौलपुर पंचायत समिति अंतर्गत उच्च माध्यमिक विद्यालय महाराजपुरा संचालित है। स्कूल पहले सरकारी स्कूलों की तरह सामान्य था लेकिन शिक्षक सुरेंद्र सिंह ने नामांकन को बढ़ाने के लिए संसाधन बढ़ाना शुरू किया। आसपास और अपने परिचित भामाशाहों से सहयोग लिया। पहले खराब पड़े मैदान को तैयार कराया और 300 से अधिक पौधे रोपे।