Dholpur ओडीएफ का दर्जा मिला लेकिन अब भी सैकड़ों लोग खुले में शौच को मजबूर
ओडीएफ जांच और प्रमाणन पर ही सवाल
प्रकरण में क्षेत्र को ओडीएफ घोषित करने की प्रक्रिया ही शक के घेरे में आ रही है। जिसमें कई स्तर पर अधिकारियों के दल भी तैनात किए गए। अंकेक्षण भी हुआ। सोशल ऑडिट भी हुआ। स्वच्छता प्रभारी भी तैनात किया गया। राज्य स्तर के संदर्भ व्यक्ति की भी तैनाती हुई। लेकिन सब कागजों में ही होता रहा। किसी ने जमीनी हालात की जांच नहीं की। नतीजा 25000 से 50000 लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।जिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने ओडीएफ प्रमाणीकरण किया या इस प्रक्रिया में शामिल रहे उनके विरुद्ध प्रथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। जिससे योजनाओं के कागजी अमल पर रोक लग सके।अधिकारी एसी चेम्बर्स से बाहर निकल कर हालात को देखें तो उनको जनता की समस्याओं का पता चले। क्षेत्र में अधिकांशत: काम कागजों में ही हो रहे हैं।जब भट्टे ही अवैध रूप से चल रहे हैं उनकी ही जांच सिर्फ कागजों में है तो शौचालय की जांच कौन करेगा। ये तो सोने के अंडे देने वाली मुर्गियां हैं।उक्त मामले में जांच नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो जांच करवाई जाएगी।