Aapka Rajasthan

Dholpur एक बार में पार कराते हैं 50 यात्री और 20 दुपहिया वाहन

 
Dholpur एक बार में पार कराते हैं 50 यात्री और 20 दुपहिया वाहन
धौलपुर न्यूज़ डेस्क, धौलपुर  भले ही हाइवे और एक्सप्रेस-वे परिवहन की दूरी घटा रहे हों, लेकिन पूर्वी राजस्थान के धौलपुर जिले को पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से सीमा विभाजित कर रही चंबल नदी एक कम खर्चीले जलमार्ग की राह भी खोल रही है। जिले की राजाखेड़ा तहसील से सटे चंबल नदी किनारे के भूढ़ाघाट से आज भी करीब आधा दर्जन नावें प्रतिदिन पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश जाने वालों के लिए बड़ा सुगम साधन हैं। बीहड क्षेत्र में बसे गांवों से अंतरराज्जीय सीमा पार करने में मात्र 10 मिनट का वक्त लगता है। राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच बह रही चंबल को नावों से प्रतिदिन करीब 2 हजार से लोग इधर-उधर से जाते हैं। ये नावें दुपहिया वाहन समेत चालक को मात्र 20 रुपए में चंबल पार करा देते हैं। चंबल पार मध्यप्रदेश के शहर अबाह व पोरसा की दूरी केवल 15 किलोमीटर रह जाती है। जबकि सडक़ मार्ग से जाने के लिए करीब 4 घंटे का थकान भरे सफर के साथ 250 से 300 रुपए जेब से ढीले करने पड़ते हैं। लेकिन चंबल के ये खवईया (नाविक) महंगाई के इस दौर में मात्र 20 रुपए में अंतरराज्जीय जल मार्ग पार करा रहे हैं।

कोरोना काल में प्रशासन ने कराया बंद

कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में इस मार्ग का राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के लोगों की आवाजाही थी। इसकी वजह यहां किसी तरह की जांच नहीं थी। धौलपुर प्रशासन को जानकारी होने पर तत्कालीन डीएम राकेश जयसवाल ने इन्हें बंद करा दिया। वहीं, विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भी जिला निर्वाचन विभाग की ओर से इस जलमार्ग में 48 घंटे के लिए नावों के संचालन को प्रतिबंधित कर दिया जाता है।

मल्लाह जाति के परिवार कर रहे संचालन : वैसे तो चंबल नदी में निजी तौर नाव संचालन पर रोक हैं। यानी नाव संचालन के लिए लाइसेंस और आरटीओ से फिटनेस प्रमाण पत्र लेना आवश्यक है। लेकिन राजाखेड़ा और यूपी सीमावर्ती क्षेत्र में बसे मल्लाह जाति के परिवार ही लबे समय से नावों का संचालन कर रहे हैं। इनके पास कोई लाइसेंस नहीं है, लेकिन ये लोग नाव संचालन से ही अपने परिवार का जीवनयापन कर रहे हैं।