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Dholpur के बाड़ी शहर में में दुर्लभ प्रजाति का उल्लू चर्चा का विषय बना, तंत्र विद्या के नाम पर तांत्रिक इसकी चढ़ा देते हैं बलि

 
Dholpur के बाड़ी शहर में में दुर्लभ प्रजाति का उल्लू चर्चा का विषय बना, तंत्र विद्या के नाम पर तांत्रिक इसकी चढ़ा देते हैं बलि

धौलपुर न्यूज़ डेस्क,धौलपुर के बाड़ी शहर में एक दुर्लभ प्रजाति का उल्लू सोमवार शाम से चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल शहर के होड़ मोहल्ले के सीता वाली बिगिची के पास रहने वाले शिक्षक रामनिवास मीणा के घर के पीछे बगीचे में शाम पांच बजे दुर्लभ प्रजाति का उल्लू पहुंच गया. जिसे देख आवारा कुत्ते भौंकने लगे। आवाज सुनकर गृह शिक्षक रामनिवास मीणा (55) की पत्नी चरणबाई (48) बाहर आई तो पेड़ पर एक अजीब पक्षी बैठा देखा। जिस पर उन्होंने परिजनों को सूचना दी।

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जिसके बाद घरवालों ने आवारा पशुओं को भगाया और उल्लू को पकड़ लिया। इसके बाद परिजनों ने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी। जिस पर उल्लू को रेस्क्यू टीम के मौके पर पहुंचने पर सौंप दिया गया। जिस पर टीम ने उल्लू को वन विभाग के सेंचुरी एरिया में छोड़ दिया।

शिक्षक रामनिवास मीणा की पत्नी चरण भाई ने बताया कि यह अजीबोगरीब और विचित्र दिखने वाला उल्लू है। जिसे उन्होंने पहली बार देखा था। वहीं जंतु विज्ञान में पीजी कर रहे रामनिवास मीणा के पुत्र अवधेश (25) ने बताया कि यह उल्लू या उल्लू कॉर्डेटा संघ के एवेस वर्ग के टाइटोनिडे परिवार का है. इसका नाम टायटो अल्वा है। जो एक लुप्तप्राय प्रजाति है। इसका नाम आईयूसीएन की रेड डाटा बुक में सूचीबद्ध है। यह उत्तरी हिमालयी क्षेत्र, इंडोनेशिया और प्रशांत द्वीप समूह में पाया जाता है। यहां तक पहुंचने में करीब 2 से 3 हजार किलोमीटर की दूरी तय की है। इस प्रजाति के उल्लू यहां नहीं पाए जाते हैं। वहीं कुछ लोग इसे तंत्र विद्या के नाम पर अंधविश्वास में मार देते हैं। जिस कारण इनकी प्रजाति बहुत कम पाई जाती है।

अवधेश मीणा ने बताया कि यह लुप्तप्राय प्रजाति का उल्लू है। जो एक साल में 25 हजार चूहे खा जाता है। इसके अलावा यह कीड़े और अन्य चीजें भी खाता है। यह खलिहान उल्लू है। जिनकी प्रजाति वर्तमान में विलुप्त होने के कगार पर है।

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वहीं, भारत में लोग इस उल्लू को बार्न आउल के नाम से जानते हैं। इस प्रजाति के उल्लुओं की अब भारत में गिनती बाकी रह गई है। ये इतने कम हैं कि इन्हें गिनना भी आसान काम नहीं है।

धौलपुर वन विभाग के डीएफओ किशोर गुप्ता ने बताया कि दैनिक भास्कर की सूचना पर टीम ने उल्लू का होड़ इलाके से रेस्क्यू किया है. इसे वन विभाग के सेंचुरी एरिया में छोड़ा जाएगा। यह उल्लू लुप्तप्राय प्रजाति का है। इस बारे में और जानकारी की जा रही है.