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Dausa सुदामा की दयनीय स्थिति देखकर भगवान रो पड़े

 
Bharatpur श्री कृष्ण और सुदामा जी से दोस्ती सीखते हैं लोग, भागवत कथा समाप्त

दौसा न्यूज़ डेस्क, क्षेत्र के भिकली गांव स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन सुदामा चरित्र कथा के साथ हुआ। भागवताचार्य पंडित महेंद्रकुमार शास्त्री ने जब सुदामा चरित्र का वर्णन किया तो पंडाल में मौजूद श्रोता भावुक हो गए। मंच से भजन गाए गए। भगवाचार्य ने सुदामा के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करनी है तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह करो। सच्चा मित्र वही होता है जो अपने मित्र की समस्या को समझे और बिना बताए उसकी मदद करे। लेकिन आजकल दोस्ती नहीं स्वार्थ है.

स्वार्थ सिद्ध होने तक मित्रता कायम रहती है। जब स्वार्थ ख़त्म हो जाता है, तो दोस्ती भी ख़त्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र कृष्ण से मिलने द्वारिकापुरी जाते हैं। जब वह महल के द्वार पर पहुँचता है, तो वह पहरेदारों से कहता है कि कृष्ण उसके मित्र हैं और उन्हें प्रवेश करने के लिए कहता है। इस भजन के दौरान हे द्वारपाल, कन्हैया से कहो कि सुदामा उससे मिलने के लिए निकट आया है। कथा पंडाल में मौजूद महिला-पुरुष श्रोताओं ने जमकर नृत्य किया। भगवाचार्य ने बताया कि सुदामा की बातें सुनकर पहरेदारों ने उनका मजाक उड़ाया और कहा कि एक गरीब व्यक्ति भगवान श्रीकृष्ण का मित्र कैसे हो सकता है।