Dausa चिकित्सा मंत्री परसादी लाल के गृह जिले में मुफ्त जांच की सुविधा के लिए तरस रहे मरीज, डॉक्टर नहीं

फिर भी अस्पताल में मरीज डाक्टरों की लेटलतीफी, ऑन ड्यूटी होम/मेडिकल शॉप के बाहर मरीजों को देखने व चक्कर लगाने व वार्ड में खाना खाने जैसी बातों की आड़ में ओपीडी से अनुपस्थित रहते हैं, जिसके कारण अस्पताल मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण शुक्रवार की दोपहर देखने को मिला, जब हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राकम सिंह ड्यूटी पर होने के बाद भी सीट पर नहीं थे. मोबाइल नंबर पर कॉल कर जवाब दिया कि घर में खाना खाने आया हूं। जब पूछा कि कब तक आऊंगा तो यह कहकर फोन काट दिया कि खाना भी न खाऊं। उस समय दोपहर के 12:42 बज रहे थे। इसी तरह कई अन्य डॉक्टर भी किसी न किसी बहाने ओपीडी से अनुपस्थित रहते हैं। सोनोग्राफी के मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जहां डॉक्टर सुबह 10 बजे से पहले काम शुरू नहीं करते हैं।
डॉक्टरों के 58 और नर्सिंग कर्मियों के 72 पद हैं। जिला अस्पताल में चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ की दृष्टि से कोई कमी नहीं है, कमी चिकित्सकों के परिपेक्ष्य में है। ओपीडी का समय अब सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक है, जहां कुछ डॉक्टर 6 में से 2 घंटे अनुपस्थित रहते हैं। डॉ. आरडी मीणा, डॉ. बत्तीलाल मीणा, डॉ. दिनेश मीणा, डॉ. आर.के. मीना, डॉ. डी.एन. शर्मा, डॉ. हाउ. शर्मा, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. प्रमेद मीणा, पीएमओ डॉ. शिवराम मीणा आदि के पास ओपीडी में मरीजों की भीड़ लगी रहती है.
जिला अस्पताल में दो सोनोग्राफी मशीनें हैं। इनमें से एक खराब हो गया। एक मशीन चालू थी, जिस पर केवल गर्भवती महिलाओं व भर्ती मरीजों का ही सोनोग्राफी कराने के लिए उपयोग किया जाता था। ओपीडी के मरीजों को निजी केंद्र से सोनोग्राफी करानी पड़ती थी। यह सिलसिला करीब 1 साल तक चला। फिर दूसरी सिनेमैटोग्राफी मशीन मंत्री मुरारीलाल मीणा के कोटे से खरीदी गई। अब दो मरीज होने पर एक ओपीडी पर और दूसरी महिला विंग में गर्भवती महिलाओं व भर्ती मरीजों का स्कैन किया जाता है। दोनों मशीनों पर 110 से 130 मरीजों की सोनोग्राफी की जाती है, जबकि मरीजों का प्रेशर 150-180 तक बना रहता है। ऐसे में करीब 50 मरीज निजी केंद्र पर 400 से 700 रुपये में सोनोग्राफी कराने को विवश हैं। कुछ मरीज अपनी बारी का लंबा इंतजार करने के कारण जिला अस्पताल के बाहर से भी सोनोग्राफी करा लेते हैं। वहीं जिला अस्पताल में 40 तरह की विशेष जांच भी होती है, जिसका टेंडर पिछले साल 31 अगस्त को समाप्त हो गया था। इसके बाद बाहर से मरीजों की जांच करनी पड़ी। करीब 8 महीने बाद नए टेंडर के बाद पिछले महीने 11 अप्रैल से फिर से 40 तरह की विशेष जांच शुरू की गई। इसमें 150 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक की जांच नि:शुल्क की जाती है।