Dausa ऑटो रिक्शा और ई-रिक्शा शहर की यातायात व्यवस्था में बने बाधा, लोगों ट्रफिक से परेशान

दौसा न्यूज़ डेस्क, दौसा शहर में ऑटो रिक्शा की बेलगाम भीड़ सुविधा से ज्यादा परेशानी बन गई है। रास्ते में जहां चाहा ऑटो रोक लिया और जिधर चाहा मोड़ दिया। यातायात व्यवस्था में बाधा का एक बड़ा कारण ऑटो रिक्शा भी है, जिससे लोगों को शहर में बार-बार जाम में फंसना पड़ता है और परेशान होना पड़ता है। गांधी तिराहे की बात करें या रेलवे स्टेशन की, जहां सबसे ज्यादा ऑटो रिक्शा का जमावड़ा हुआ है। ई-रिक्शा के आने से शहर की यातायात व्यवस्था बद से बदतर हो गई है। आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग ई-रिक्शा लेकर दैसा शहर आते हैं और दिन भर कारोबार करने के बाद शाम को गांव लौटते हैं। शहर में गांधी तिराहा से समाहरणालय तक और लालसेट रोड पर गांधी तिराहा से जिला अस्पताल तक अधिक ऑटो रिक्शा चलते हैं, जो लगभग 5 किमी का क्षेत्र है। शहर में 5 किमी के दायरे में 4 हजार से ज्यादा ऑटो हैं, जो आम लोगों के साथ ट्रैफिक पुलिस के लिए भी सिरदर्द बन गए हैं। कोरोना से पहले शहर में करीब एक हजार ऑटो थे। फिर काम धंधा ठप हो गया तो लोग ई-रिक्शा खरीदेंगे। अब शहर में करीब तीन हजार ई-रिक्शा हैं।
इनमें से ज्यादातर ई-रिक्शा ग्रामीण इलाकों से हैं, जो दिन भर की कमाई कर शहर जाते हैं और शाम को घर लौटते हैं. बड़ी संख्या में ऑटो रिक्शा होने के बाद भी ट्रैफिक पुलिस के पास उन्हें नियंत्रित करने का कोई जरिया नहीं है। शहर में ऑटो रिक्शा के लिए एक भी स्टैंड नहीं है। ऑटो रिक्शा चालक जहां मर्जी सड़क पर बैठ जाते हैं और रुक कर खड़े भी हो जाते हैं। इतना ही नहीं अगर कोई सवारी में बैठने के लिए रुकने का इशारा करता है तो तेज गति से ब्रेक लगाकर इधर से उधर चलते लोगों के साथ दुर्घटना का खतरा बना रहता है। ट्रैफिक पुलिस ऑटो रिक्शा चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने से कतराती है। ट्रैफिक पुलिस के जवान सुबह दो घंटे सड़क पर नजर आते हैं, फिर इधर-उधर दुकानों या पेड़ों की छांव में बैठ जाते हैं। इससे ऑटो रिक्शा चालकों को जो चाहे करने का मौका मिल जाता है।