कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने सचिन पायलट के बेटे को कांग्रेस प्रदर्शन में शामिल होने पर जताया समर्थन
राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने हाल ही में कांग्रेस के अरावली क्षेत्र में आयोजित प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बेटे की उपस्थिति पर समर्थन व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में किसी को साथ लाने या समर्थन देने में कोई बुराई नहीं है।
मीणा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “नेहरू भी इंदिराजी को साथ लेकर देश भर में घूमते थे और वे प्रधानमंत्री बन गईं। अगर सचिन पायलट अपने बेटे को इस प्रदर्शन में साथ लेकर आए हैं, तो इसमें कोई समस्या नहीं है। लोकतंत्र में हर किसी को अपने परिवार और समर्थकों के साथ राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार है।”
कृषि मंत्री ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि राजनीति में पारिवारिक सहभागिता नई नहीं है। उन्होंने कहा कि देश और राज्य की राजनीति में हमेशा से युवा और परिवार के सदस्य भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। उनका मानना है कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है और इसे नकारात्मक दृष्टि से देखने की जरूरत नहीं है।
दरअसल, हाल ही में अरावली क्षेत्र में कांग्रेस ने किसानों और ग्रामीण समुदायों के समर्थन में एक प्रदर्शन का आयोजन किया था। इस प्रदर्शन में सचिन पायलट के बेटे की उपस्थिति पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. मीणा ने इसे लोकतंत्र की ताकत बताया।
मीणा के समर्थन से यह साफ होता है कि राजस्थान में राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच पारिवारिक और युवा सहभागिता पर चर्चा अब एक सामान्य राजनीतिक मुद्दा बन गई है। उन्होंने कहा कि युवाओं और नए चेहरे राजनीति में आने चाहिए और जनता के बीच अपनी बात रखनी चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह के बयान से दो संदेश मिलते हैं। एक, यह कि राजनीतिक नेताओं के परिवार को सार्वजनिक मंचों पर लाना अब आम बात हो गई है। और दूसरा, इसे लेकर विरोधाभासी या नकारात्मक धारणा बनाने की बजाय इसे लोकतंत्र का हिस्सा माना जाना चाहिए।
मीणा के अनुसार, लोकतंत्र में हर कोई अपने विचार और समर्थक लेकर सामने आ सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के युवा सदस्य या परिवार के सदस्य को सक्रिय राजनीति में आने से रोकना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
इस बयान के बाद राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। विभिन्न दलों और मीडिया मंचों पर इस मुद्दे पर बहस चल रही है। डॉ. मीणा का यह तर्क पारिवारिक सहभागिता को सामान्य और लोकतांत्रिक नजरिए से प्रस्तुत करता है।
