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Churu तैराकों से कब गुलजार होगा चूरू स्टेडियम का तरणताल

 
Churu तैराकों से कब गुलजार होगा चूरू स्टेडियम का तरणताल

चूरू न्यूज़ डेस्क, जिला स्टेडियम में दो दशक पहले हुई तरणताल की स्वीकृति अब तक खिलाड़ियों को राहत नहीं दे सकी है।पांच साल पहले आखिरकार न केवल तरणताल बनकर तैयार हुआ बल्कि इसमें तैराक और तैराकी सीखनेवाले बच्चों के लिए प्रवेश की भी घोषणा कर दी। फिर भी यहां तैरना तो दूरी इसमें पानी तक नहीं भरा गया। इसलिए ही यहां आनेवाले खिलाड़ी पूछते हैँ कि तैराको से कब चहकेगा चूरू जिला स्टेडियम का तरणताल। जिला मुयालय से सरदारशहर-रतनगढ़ की ओर जानेवाले सड़क मार्ग पर बने जिला स्टेडियम की विकास यात्रा भले ही मंथर गति से चली लेकिन पिछले दशक से यह स्टेडियम खिलाड़ियों से चहकने लगा है तो अनेक खेल सुविधाएं सृजित हुई है तो इनका विस्तार भी हुआ हैं। एथलेटिक्स का स्तरीय ट्रेक बना तो यहां तैराकी के लिए तरणताल भी बना। हालांकि दो दशक पूर्व स्वीकृत हुए तरणताल के बनने न बनने पर सवाल दर सवाल उठे तो इसके बनने से पहले ही उखड़ने की गुथ्तियां उलझी। यहां जिला कलक्टर आते रहे लेकिन 1917 में तात्कालीन जिला कलक्टर के समय इसके पुनिर्माण का कार्य शुरू हुआ और आखिकार यह दूसरी बार बनकर तैयार हो गया। इसके बावजूद भी इसमें तैराकों का प्रवेश नहीं हुआ।

प्रवेश के लिए हुई घोषणा

वर्ष 2019 में जिला स्टेडियम में बना तरणताल एकबार फिर खुशिया लेकर आया कि इसमें तैराकी करने के लिए प्रवेश की घोषणा कर दी गई। तात्कालीन जिला कलक्टर संदेश नायक ने तरणताल में तैराकी के लिए प्रवेश की घोषणा की। जानकारी के अनुसार तैराकी बच्चों के लिए महत्वपूर्ण खेल कॅरियर मानते हुए तरणताल में प्रवेश के लिए अलग अलग शुल्क तय किया गया। जानकारों की माने तो तरणताल में तैराकी के लिए 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए 1000 रुपए प्रतिमाह तथा अधिक आयु के लोगों के लिए 1500 रुपए प्रतिमाह शुल्क तय किया गया है। इसके अलावा कभी-कभार आनेवाले 15 से कम बच्चों के लिए 50 और बड़ों के लिए 70 रुपए प्रति घंटा का शुल्क तय किया गया। इस दौरान तरणताल पर तैराकों की चहल कदमी हुई और तैराकी शुरू हुई लेकिन कुछ माह बाद ही फिर यह बंद हो गया। तब से लेकर आज तक फिर इसकी किसी ने सुध नहीं ली और लाखों रुपए की कीमत का बना तरणताल बिन पानी के फिर खराब होने की कगार पर पहुंच गया हैं।

पांच साल गुजर गए तरणताल हो गया बंद

तरणताल कुछ माह खुलने के बाद फिर बंद हो गया। इसी बीच कोरोना काल आ गया और उपेक्षा का शिकार हुआ तरणताल फिर कब खुलेगा यह तैराकों के लिए सवाल बन गया। जानकारों की माने तो इस स्टेडियम में सबसे बड़ी समस्या केयर टेकर की है। सरकार की ओर से केयर टेकर का पद भी नहीं है। खिलाड़ियों का कहना है बड़े स्टेडियम के लिए एक नहीं एक नहीं दो-दो केयर टेकर होने आवश्यक हैं।