Churu खनिज के क्षेत्र में पिछड़े चूरू की धरा कब उगलेगी सोना
चूरू न्यूज़ डेस्क, बीकानेर संभाग के चूरू में हालांकि कोई खास खनिज संपदा नहीं है लेकिन जब कभी भी सर्वे हुए उनमें यह बताया गया कि इस मरुस्थल में सोने के भण्डार छुपे हुए हैं। हालांकि भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण ने कई सालों पहले जिले की सरदारशहर तहसील के घड़ीसर गांव में खनिज पोटाश की तलाश की थी। अभी एक जिला एक खनिज में भी कोई ऐसे प्रयास नहीं हुए जिससे इस क्षेत्र में कोई काम होता। जबकि पोटाश की उपलब्धता का पता चलने के बाद भी इस ओर कोई विशेष कार्य हुआ है क्या यह अभी तक तो धरातल पर नहीं दिखाई दिया। जानकारों के अनुसार अब तक राजस्थान में कितनी ही खनिज नीति बनी होगी लेकिन चूरू में खनिज और जहां तहां कोई खनिज है तो उसका कितना दोहन हुआ है या हो रहा है कि ओर सरकारों ने शायद ही कभी ध्यान दिया होगा। तभी तो एक ओर यहां की कमोबेश खनिज संपदा के छोटी मोटी खान संपदा विपदा की श्रेणी में आ गई और जहां कोई भण्डार मिले है वहां के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए। इसलिए ही संभावना वाला खनिज क्षेत्र के धरातल पर कोई खास काम नहीं हुआ। यही कारण है कि मरुस्थलीय जिला चूरू आज भी राज्य के पिछड़े जिलों में अपना अग्रणीय स्थान बनाएं हुए हैं।
रोजगार के सशक्त माध्यम की तलाश
रसातल में जाता पीने का पानी, बारानी फसलों को छीनती प्राकृति आपदाएं, धूलधुसरित हो रही खनिज संपदा, जेठ की धुपहरी में विशालकाय भंभूळियों से इधर होती रेत से युक्त खेत। इसलिए यहां की खेती को जहां नहर का पानी चाहिए वहीं जिले को रोजगार के माध्यम का सशक्त सृजन चाहिए। यह प्रशासन और शासन सहित सियासतदान भी जानते हैं लेकिन जातियों में समिटती राजनीति ने विकास और रोजगार को कहीं पीछे छोड़ केवल अपने बने रहने की होड़ के लिए दौड़ लगा रहे हैं। तभी तो प्रदेश की राजनीति में हस्तक्षेप रखनेवाला जिला आज भी अपने पिछडऩेपन के दंश से मुक्त नहीं हो रहा है। जिले को रोजगार के सशक्त माध्यम की तलाश है। जिसमें यहां की धरती में समाया खनिज सहायक बन सकता है और इसमें यदि कोई नवाचार हो तो यह युवाओं के लिए अवदान बन सकती है।
चूरू जिले में पोटाश हुआ हतास
यूं तो कई बार खबर आई की राजस्थान में पोटाश के भण्डार है फिर भी पिछले सालों में बीकानरे संभाग में न केवल पोटाश भण्डार होने की खबर आई बल्कि सरकार की ओर से खनिज पोटाश के कपोजिट लाइसेंस के ई-ऑक्शन की प्रक्रिया ई-पोर्टल पर प्रदेश में शुरू की गई। देशभर में 95 प्रतिशत पोटाश भण्डारण वाले राजस्थान के बीकानेर संभाग के चारों जिलों में पाटोश है। चूरू जिले की सरदारशहर तहसील के घड़सीसर में पोटाश का क्षेत्रफल करीब 11.72 वर्ग किलोमीटर है। यहां खनिज पोटाश के लिए क्या कुछ हुआ इसका शायद ही किसी को पता है। क्योंकि चूरू के खनिज विभाग की रिपोर्ट में कही इसका जिक्र तक नहीं है।
ई-नीलामी प्रक्रिया हुई शुरू
राजस्थान सरकार की खनिज नीति 2024 में सैण्ड नीति का जरूर जिक्र है, राजस्थान में बजरी के नए विकल्प बतौर 31 एम-सेण्ड इकाईयों की स्थापना के लिए इसकी ई-निलामी प्रक्रिया भी 28 जनवरी शुरू कर दी गई है जो 6 फरवरी तक जारी रहेगी। हालांकि इससे प्रदेश के खनिज क्षेत्रों में नए निवेश के साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ेंगे लेकिन इसमें पोटाश के लिए कोई जिक्र नहीं किया गया है।
यह खनिज है उलब्ध
सहायक खनिज अभियंता की ओर से बताया गया है कि जिले में मुयत: खनिज में मैसनरी स्टोन, मार्बल, सैण्ड स्टोन पट्टी-कातला, जिप्सम एवं ईंट मिट्टी उपलब्ध हैं। खनिज विभाग के अनुसार जिले में खनिज क्षेत्र बीरमसर तहसील रतनगढ, लोढसर, चरला, सारोठिया, गोपालपुरा तहसील सुजानगढ, मानपुरा, धंटियाल, रूपेली, दूंकर, चाडवस, पारेवड़ा, डूंगरास आथूणा तथा बालेरा तहसील बीदासर में हैं।
मैसनरी स्टोन के 157 खनन पट्टे
चूरू खनिज विभाग के क्षेत्राधिकार में खनिज मैसनरी स्टोन के 157 खनन पट्टे जारी किए हुए हैं। इसके अलावा मार्बल के 13 खनन पट्टे, सैण्ड स्टोन पट्टी-कातला के 14 क्वारी लाईसेंस है। जबकि जिप्सम के 22 परमिट एवं ईंट मिट्टी के 52 परमिट प्रभावी हैं।
47.04 करोड के राजस्व की प्राप्ति
चूरू खनिज विभाग के अनुसार चूरू को वित्त वर्ष 2024-25 में वार्षिक राजस्व लक्ष्य 56.00 करोड़ का आंवटन किया गया। विभाग के अनुसार 24 जनवरी 2025 तक 47.04 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई। सहायक अभियंता के अनुसार यह प्राप्त वार्षिक लक्ष्य का 84.00 प्रतिशत है। खनिज विभाग के अनुसार अवैध खनन,भण्डारण और निर्गमन के खिलाफ 49 प्रकरण बनाए गए हैं। चूरू के खनिज विभाग ने 49 जाकर शास्ति राशि 99.70 लाख रुए की वसूली गई है।
