जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर स्थित Churu जिले का सालासर कस्बा
चूरू न्यूज़ डेस्क, सालासर कस्बा, राजस्थान में चूरू जिले का एक हिस्सा है और यह जयपुर - बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। यह सीकर से 57 किलोमीटर, सुजानगढ़ से 24 किलोमीटर और लक्ष्मणगढ़ से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सालासर कस्बा सुजानगढ़ पंचायत समिति के अधिकार क्षेत्र में आता है और राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की नियमित बस सेवा के द्वारा दिल्ली, जयपुर और बीकानेर से भली प्रकार से जुड़ा है। इंडियन एयरलाइंस और जेट एयर सेवा जो जयपुर तक उड़ान भरती हैं, यहाँ से बस या टैक्सी के द्वारा सालासर पहुँचने में 3.5 घंटे का समय लगता है। सुजानगढ़, सीकर, डीडवाना, जयपुर और रतनगढ़ सालासर बालाजी के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं।
यह शहर पिलानी शहर से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर है, जहाँ (बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी/बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान) स्थित है।
श्रावण शुक्लपक्ष नवमी, संवत् 1811 - शनिवार को एक चमत्कार हुआ। नागौर जिले में असोटा गाँव का एक गिन्थाला-जाट किसान अपने खेत को जोत रहा था। अचानक उसके हल से कोई पथरीली चीज़ टकरायी और एक गूँजती हुई आवाज पैदा हुई। उसने उस जगह की मिट्टी को खोदा और उसे मिट्टी में सनी हुई दो मूर्त्तियाँ मिलीं। उसकी पत्नी उसके लिए भोजन लेकर वहाँ पहुँची। किसान ने अपनी पत्नी को मूर्त्ति दिखायी। उन्होंने अपनी साड़ी (पोशाक) से मूर्त्ति को साफ़ की। यह मूर्त्ति बालाजी भगवान श्री हनुमान की थी। उन्होंने समर्पण के साथ अपने सिर झुकाये और भगवान बालाजी की पूजा की। भगवान बालाजी के प्रकट होने का यह समाचार तुरन्त असोटा गाँव में फ़ैल गया। असोटा के ठाकुर ने भी यह खबर सुनी। बालाजी ने उसके सपने में आकर उसे आदेश दिया कि इस मूर्त्ति को चूरू जिले में सालासर भेज दिया जाए। उसी रात भगवान हनुमान के एक भक्त, सालासर के मोहन दासजी महाराज ने भी अपने सपने में भगवान हनुमान यानि बालाजी को देखा। भगवान बालाजी ने उसे असोटा की मूर्त्ति के बारे में बताया। उन्होंने तुरन्त आसोटा के ठाकुर के लिए एक सन्देश भेजा। जब ठाकुर को यह पता चला कि आसोटा आये बिना ही मोहन दासजी को इस बारे में थोड़ा-बहुत ज्ञान है, तो वे चकित हो गये। निश्चित रूप से, यह सब सर्वशक्तिमान भगवान बालाजी की कृपा से ही हो रहा था। मूर्त्ति को सालासर भेज दिया गया और इसी जगह को आज सालासर धाम के रूप में जाना जाता है। दूसरी मूर्त्ति को इस स्थान से 25 किलोमीटर दूर पाबोलाम (जसवंतगढ़) में स्थापित कर दिया गया। पाबोलाव में सुबह के समय समारोह का आयोजन किया गया और उसी दिन शाम को सालासर में समारोह का आयोजन किया गया।
दिल्ली से: 1.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम (गुड़गाँव) -> रेवाड़ी -> नारनौल -> चिडावा -> झुंझुनू -> मुकुंदगढ़ -> लक्ष्मणगढ़ -> सालासर बालाजी (318 किलोमीटर)
(आपको रेवाड़ी रोड़ से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 को छोड़कर रेवाड़ी से झुंझुनू जाने वाला रास्ता लेना होगा) (सबसे छोटा रास्ता)
2.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम -> बहरोड़ -> नारनौल -> चिडावा -> झुंझुनू -> मुकुंदगढ़ -> लक्ष्मणगढ़ -> सालासरबालाजी (335 किलोमीटर)
(ऊपर बताये गये रास्ते से यह मार्ग बेहतर है, आपको बहरोड़ से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 छोड़ना होगा, लेकिन बहरोड़-चिडावा-झुंझुनू वाला रास्ता बहुत खराब है)
3.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम -> बहरोड़ -> कोटपुतली -> नीमकाथाना -> उदयपुरवाटी -> सीकर -> सालासर बालाजी (335 किलोमीटर) (आपको कोटपुतली से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 छोड़ना होगा)
4.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम -> बहरोड़ -> कोटपुतली-> शाहपुरा-> अजीतगढ़ -> सामोद -> चोमूँ -> सीकर -> सालासर बालाजी (392 किलोमीटर) (आपको शाहपुरा से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 छोड़ना होगा) इसे सामोद मार्ग के रूप में भी जाना जाता है।
5.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम -> बहरोड़ -> कोटपुतली-> शाहपुरा -> चंदवाजी -> चोमूँ -> सीकर -> सालासर बालाजी (399 किलोमीटर) (आपको शाहपुरा से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 छोड़ना होगा) इसे चंदवाजी मार्ग भी कहा जाता है। हालाँकि यह मार्ग लम्बा है, इसकी लम्बाई लगभग 225 किलोमीटर है, परन्तु राष्ट्रीय राजमार्ग-8 एक्सप्रेसवे पर गाड़ी चलाकर आराम से जा सकते हैं।
6.) नयी दिल्ली -> बहादुरगढ़ -> झज्झर -> चरखीदादरी -> लोहारू -> चिडावा -> झुंझुनू -> मुकुंदगढ़ -> लक्ष्मणगढ़ -> सालासर बालाजी (302 किलोमीटर) यह नया रास्ता है जिसे कम भक्त जानते हैं।
7.) नयी दिल्ली -> रोहतक -> हिसार -> राजगढ़ -> चुरू -> फतेहपुर -> सालासर बालाजी (382 किलोमीटर)
