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जयपुर पुलिस का रहस्यमयी कोडवर्ड सिस्टम! लायन, टाइगर और विक्टर कोड से होती है पुलिस की पहचान, जानकर चौंक जाएंगे आप

 
जयपुर पुलिस का रहस्यमयी कोडवर्ड सिस्टम! लायन, टाइगर और विक्टर कोड से होती है पुलिस की पहचान, जानकर चौंक जाएंगे आप

जयपुर पुलिस ने कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने के साथ ही वायरलेस संचार प्रणाली को अपडेट किया है और हर रैंक के अधिकारियों को एक स्थायी कोड वर्ड दिया है। पहले यह सिस्टम सिर्फ ऑपरेशन तक सीमित था, लेकिन अब यह कमिश्नरेट की संस्कृति का हिस्सा बन गया है। शेर से ब्रावो, शेरा के साथ टैंगो को नॉर्थ जोन में ले जाएं। गामा एक्टिव मोड पर। पीटर अलर्ट। विक्टर लूप में। इस तरह वायरलेस पर बातचीत होती है। सच तो यह है कि जयपुर कमिश्नरेट में हर अधिकारी की पहचान उसके पद से नहीं बल्कि उसके कोडनेम से होती है।

जयपुर पुलिस कमिश्नर को 'शेर' कहते हैं

जयपुर पुलिस कमिश्नर को "शेर" कहते हैं जो पूरी व्यवस्था में सबसे ऊपर होता है, सबसे निर्णायक आवाज होती है। एडिशनल पुलिस कमिश्नर को "पैंथर" यानी तेज, प्रभावी और रणनीति का मास्टर। डीसीपी को टाइगर कहते हैं, जो फील्ड का कमांडर होता है जो सीधे एक्शन में होता है। एडिशनल डीसीपी का कोड "ब्रावो" होता है, जो प्लानिंग और एक्शन के बीच पुल बनाता है। एसीपी को पीटर कहते हैं जो इलाकों की डिटेल से लेकर टीम मैनेजमेंट तक सब संभालते हैं। थाने का मुखिया सीआई गामा होता है। इलाके पर उसका सीधा नियंत्रण होता है।

थाने के एएसआई को शेरा कहते हैं

थाने में तैनात एएसआई को शेरा कहते हैं, जो ग्राउंड पर हर हरकत पर नज़र रखता है। ट्रैफिक पुलिस में एसआई को टैंगो कहते हैं, जो फ्रंट लाइन इंटेल और इंस्पेक्शन में सबसे आगे रहता है। एएसआई का कोड अल्फा होता है, जिसे ऑपरेशनल स्ट्रक्चर की पहली यूनिट माना जाता है। वहीं, ट्रैफिक हेड कांस्टेबल को 'वीटा' कहते हैं। एक ऐसा कोड जो शहर की गति, ट्रैफिक और नियंत्रण में उनकी अहम भूमिका को दर्शाता है। और सबसे बड़ी बात, जब वायरलेस पर "विक्टर" कहा जाता है, तो समझिए कि संदेश राजस्थान के पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी के लिए है।

संचार लीक होने की संभावना रहती है

इस कोडवर्ड सिस्टम के पीछे कई व्यावहारिक और रणनीतिक कारण हैं। सबसे बड़ी वजह सुरक्षा और गोपनीयता है। वायरलेस संचार आमतौर पर खुला होता है और कई बार सोशल मीडिया मॉनिटरिंग या साइबर जासूसी के ज़रिए ये संचार लीक हो सकते हैं। अगर अफसरों के नाम खुलकर बोले जाएं तो निशाना साधना आसान हो जाता है।

ग्राउंड पर गामा स्टेशन इंचार्ज को अलर्ट करता है

दूसरा कारण है ऑपरेशनल एकरूपता और प्रोफेशनलिज्म। जब फोर्स कोडवर्ड सिस्टम में काम करती है तो संचार तेज, स्पष्ट और सुरक्षित रहता है। "ग्राउंड पर गामा" कमांड सीधे स्टेशन इंचार्ज को अलर्ट करता है, जबकि "रेड जोन में टाइगर" का मतलब डीसीपी लेवल की तैनाती है। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण है मनोवैज्ञानिक प्रभाव। जब कोई अफसर खुद को 'टाइगर' या 'ब्रावो' कहते सुनता है तो वह खास मानसिकता के साथ काम करता है। नाम के बजाय भूमिका को पहचानना उसे ज्यादा जिम्मेदार और प्रतिबद्ध बनाता है।

टाइगर नाम से फोर्स हरकत में आती है

यह कोडवर्ड सिस्टम लोगों के लिए पूरी तरह रहस्यमय है। ज्यादातर लोग नहीं जानते कि वायरलेस पर हो रही बातचीत किसके लिए है। यही इस सिस्टम की खूबी है। यह ऐसी गुप्त भाषा है जो फोर्स के भीतर विश्वास, अनुशासन और सुरक्षा का माध्यम बन गई है। उदाहरण के लिए, गामा कहलाने का मतलब है कि आप फील्ड में होने वाले हर घटनाक्रम की जिम्मेदारी ले रहे हैं। पीटर होने का मतलब है अपने जोन का कमांडर होना, जहां से न सिर्फ निर्देश जारी होते हैं बल्कि संतुलन भी कायम रहता है। अफसरों का कहना है कि टाइगर सिर्फ नाम नहीं है, यह एक संदेश है जिसे वायरलेस पर सुनते ही पूरी फोर्स हरकत में आ जाती है।