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Churu 75 लाख की मिट्टी बर्बाद, 17 लाख की मिट्टी दलदल में तैर रही

 
Churu  75 लाख की मिट्टी बर्बाद, 17 लाख की मिट्टी दलदल में तैर रही

चूरू न्यूज़ डेस्क, चूरू धोरों के बीच पर्यटन स्थल को विकसित करने के ख्वाब यहां सरकारी तंत्र ने तोड़ मरोड़ दिए हैं। विकास के नाम करीब 90 लाख रुपए के सरकारी धन की बर्बादी कर दी गई। हालात यह है कि यहां आने वाले पांवणे शर्मशार हो रहे हैं। उनका सामना दुर्गंध और चारों तरफ फैली शराब की खाली बोतलों से होता है। बात चल रही है शहर के संरक्षित स्मारक सेठाणी जोहड़ की। जो अब समाजकंटकों की सैरगाह बनता जा रहा है। इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है। 17 लाख रुपए खर्च कर पांच माह पहले यहां लगाया गया फ्लोटिंग फाउंटेन दस दिन भी नहीं चल पाया। अब तो जिम्मेदारों ने इसका बिजली का कनेक्शन भी हटा दिया है। ऐसे में यह कलरफुल म्यूजिकल फ्लोटिंग फाउंटेन जोहड़ के दलदल में कबाड़ बन रहा है।

अकाल में रोजगार देने के लिए करवाया गया था निर्माण

सेठानी का जोहड़ जिला मुख्यालय से करीब तीन किमी की दूरी पर सरदारशहर रोड़ पर स्थित है। आयताकार जोहड़ का मुख्यद्वार दक्षिण की ओर है। इसके अलावा इसके चारों तरफ कोणों पर चार भुजाएं आकर मिलती हैं। जोहड़ में 14 स्तम्भो एवं कंगूरों से निर्मित तीन प्रवेश द्वार हैं। इसका निर्माण उस समय पत्थरों और चूने से करवाया गया था। गायों के पानी पीने के लिए गोघाट भी बनवाया गया था। इसके इतिहास की अगर बात करें तो सन 1899 में इसका निर्माण यहां के सेठ भगवानदास बागला ने अपनी पत्नी की जिद्द पर करवाया था। इसके निर्माण के पीछे की एक वजह यहां के इतिहास से जुड़े लोग यह भी बताते हैं कि विक्रम संवत 1956 के उस दौर में इलाके में भीषण अकाल पड़ा था। जिसे यहां के लोग छप्पनिया अकाल भी कहते हैं। लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य के चलते इसका निर्माण करवाया गया था। ऐतिहासिक इमारत के तौर पर पुरात्व एवं संग्रहालय विभाग जयपुर की ओर से इसे संरक्षित इमारत भी घोषित किया जा चुका है।

सरकार ने दिया था 75 लाख का बजट

राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में बजट घोषणा के तहत सेठाणी का जोहड़ के जीर्णोंद्धार के लिए 75 लाख रुपए की राशि दी थी। इसकी दीवारों की मरम्म्त के नाम पर यह राशि खर्च कर दी गई। जोहड़ पायतन की सफाई करवाई गई, जिससे जोहड़ में बारिश का साफ पानी आ सके। इसके अलावा संरक्षित स्मारक का बोर्ड लगवाया गया था, लेकिन स्थिति यह है कि गोघाट में गाय पानी पीने तक नहीं जा सकती।

परिषद ने तोड़े जनता के सपने

यहां की नगर परिषद ने सेठाणी जोहड़ में रंग-बिरंगी कलर फुल लाइटें लगाकर रमणीक स्थल बनाने का सपना दिखाया था। इसी कड़ी में 17 लाख रुपए खर्च कर म्यूजिकल फाउंटेन लगाया गया। नेताओं ने वहां पर ट्रांसफार्मर लगाकर इस फव्वारे को एक बारगी शुरू भी किया। लोगों का कहना है कि नेताओं की ओर से उद्घाटन की फोटो खिचवाने के बाद यह फव्वारा दस दिन भी नहीं पाया। अब तो इसका बिजली का कनेक्शन भी हटा दिया गया है। जोहड़ का पानी देखरेख के अभाव में दलदल बन चुका है। जोहड़ के पेंदे में खाली शराब व बीयर की बोतलें पड़ी हैं। इसके अलावा मिट्टी के टूटे बर्तन, प्लास्टिक व गंदे कपड़े छिछले पानी में तैर रहे हैं। बाहर चारों तरफ शराब की खाली बोतलें फैली हुई है। इसकी दीवारें कई जगह से जर्जर होकर गिरने की कगार पर है। चारों तरफ बनीं छतरियां भी जर्जर हो चुकी हैं। कब गिर जाए कहा नहीं जा सकता। शहर के संरक्षित स्मारक सेठाणी के जोहड़ा का निरीक्षण करवा कर जांच रिपोर्ट बनवाई जाएगी। इसके बाद इससे जुड़े जिम्मेदारों को इसकी देखभाल के लिए पाबंद किया जाएगा। जांच में कोई गड़बड़ी सामने आती है तो कार्रवाई की जाएगी।