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Churu पालतू कुत्ते का डेढ़ साल तक अस्पताल में इलाज, डेढ़ लाख खर्च

 
Churu पालतू कुत्ते का डेढ़ साल तक अस्पताल में इलाज, डेढ़ लाख खर्च

चूरू न्यूज़ डेस्क, चूरू एक परिवार ने अपने पालतू कुत्ते का डेढ़ साल तक अस्पताल में इलाज कराया। इलाज पर करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च कर दिए। फिर भी उसे बचाया नहीं जा सका। जब उसकी मौत हो गई तो परिवार ने अखबार में शोक संदेश छपवाया। तीये की बैठक रखी।पालतू कुत्ते की मौत के बाद परिवार इस कदर सदमे में है कि उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया है। परिवार के लोगों ने बताया कि उनके कुत्ते मीकू (जर्मन शेफर्ड) ने सांप से भी परिवार की जान बचाई थी। इस परिवार ने मीकू (पालतू कुत्ते) को अपने बच्चे की तरह पाला था। परिवार और जानवर के बीच के इस रिश्ते को समझने के लिए हम आपको चूरू के ढाकाण ले चलते हैं।ढाकाण के मेडिकल व्यवसायी अरविंद ढाका के परिवार में मातम पसरा है। अपने पालतू कुत्ते के बारे में बात करते हुए परिवार के हर सदस्य की आंखें भर आती हैं। 9 जुलाई को कुत्ते की मौत कंजेस्टिव हार्ट फेलियर के कारण हुई थी। अरविंद ढाका ने तय किया कि वह अपने पालतू कुत्ते की मौत पर शोक सभा समेत सभी रस्में निभाएंगे। इसके लिए गुरुवार 11 जुलाई को तीये की बैठक भी रखी गई है।

हिसार से खरीदा था, 100 मीटर चलने पर हांफने लगता है।

अरविंद ढाका ने बताया- मादा कुत्ता 2014 में एक महीने का था। इसे हिसार से 4500 रुपये में खरीदा था। धीरे-धीरे यह हमारे परिवार का हिस्सा बन गया। करीब डेढ़ साल पहले यह बीमार पड़ गया। इसे हिसार पशु चिकित्सा महाविद्यालय में दिखाया गया।डॉक्टर ने बताया- कुत्ते को कंजेस्टिव हार्ट फेलियर नामक बीमारी है। यह करीब सौ मीटर चलने पर हांफने लगता था। कई टेस्ट के बाद इसे दवाइयां दी गईं। लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ। डॉक्टर ने बताया- कुत्ते की उम्र करीब 14 से 15 साल ही है। इसलिए उम्र का भी इस पर असर होता है।

इलाज पर खर्च हुए डेढ़ लाख रुपए

ढाका ने बताया- जब हम पहली बार कुत्ते को हिसार लेकर गए थे, तब करीब 40 हजार रुपए खर्च हुए थे। इसके बाद जब भी हिसार गए, तो निजी वाहन और दवाइयों पर पैसे खर्च करने पड़े। डेढ़ साल तक चले इलाज में करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च हुए। इसके बावजूद मंगलवार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे कुत्ते की मौत हो गई। कुत्ते की मौत पर ऐसा लगा जैसे मेरा बच्चा या भाई मर गया हो। परिवार में मातम पसरा है। नम आंखों से कुत्ते को उसके ही खेत में दफना दिया गया। 11 जुलाई को उसकी तीज की बैठक रखी गई है। इसके लिए अखबार में शोक संदेश दिया गया है।

सांप से बचाई थी परिवार के लोगों की जान

ढाका ने बताया- बात साल 2018 की है। परिवार के लोग कमरे में सो रहे थे। तभी घर में एक काला कोबरा सांप घुस आया। तभी कुत्ता मेरे बिस्तर के पास आया और जोर-जोर से भौंकने लगा। मैं जाग गया। कुत्ता मुझे गेट के पास ले गया। वहां एक काला कोबरा छिपा हुआ था। फिर पड़ोसियों और घर के लोगों को जगाया गया। इसके बाद सांप को मार दिया गया। नहीं तो उस दिन सांप कमरे में सो रहे परिवार के कई लोगों को डंस सकता था।

दूध, दही, पनीर खाता था कुत्ता

ढाका कहते हैं- कुत्ता शुरू से ही शाकाहारी था। वह सुबह-शाम एक लीटर दूध के साथ रोटी खाता था। वहीं, दोपहर में हम उसे दही में कुचली हुई रोटी खिलाते थे। उसे सप्ताह में दो-तीन बार पनीर भी खिलाया जाता था। करीब डेढ़ साल तक बीमार रहने के बाद डॉक्टर की सलाह पर हम उसे सप्ताह में एक बार चिकन-मटन खिलाते थे। बीमार होने से पहले उसने कभी नॉनवेज नहीं खाया था। इसके अलावा वह घरवालों के साथ मिठाई भी खाता था।

वह रात का खाना मेरे साथ और मेरे हाथ से ही खाता था
ढाका कहते हैं- दिन में कुत्ता घरवालों के हाथ से खाना खाता था। लेकिन रात में वह मेरे हाथ से ही खाना खाता था। कुछ दिन मैं काम के लिए दूसरी जगह जाता था। उस दिन कुत्ते ने रात को खाना नहीं खाया। जब मैं घर पहुंचता तो खुद से पहले कुत्ते को खाना खिलाता था।

वह घर के गेट पर मेरा इंतजार करता था

ढाका ने कहा- पिछले दो दिनों से कुत्ते के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है। जब भी मैं शाम को घर जाता था तो कुत्ता दरवाजे पर मेरा इंतजार करता रहता था। वह घर का मेन गेट भी खोल देता था। आज मुझे कुत्ते की बहुत याद आ रही है। उसके साथ बिताया हर पल मेरी आंखों के सामने घूम रहा है। उसकी कमी इस जीवन में कभी पूरी नहीं हो पाएगी।

कमरे में 1.5 टन का एसी लगवाया

अरविंद ने बताया- मैं जब भी गांव में घूमने जाता था तो कुत्ता मेरे साथ जाता था। मैं जहां भी बैठता था कुत्ता वहीं बैठ जाता था। जब मैं उससे कहता था कि अब घर जाओ तो वह खुद ही घर लौट आता था। मैंने कुत्ते के लिए कमरे में 1.5 टन का एसी लगवाया था। मैं अपने कमरे में कुत्ते के लिए अलग से एक छोटा सा बिस्तर रखता था। वह