Churu स्थानीय सब्जी ही नहीं, औषधीय गुणों से भी भरपूर है करेला
खेतों की बाड़ में अपने आप पनपता है बाड़ करेला
बाड़ करेला की बेलें खेतों की बाड़ में, बीड़ जोहड़ में उगी कांटेदार वनस्पति में मानसून की बरसात के साथ खरीफ़ सीजन में ज्यादातर अपने आप उगती है। कुछ किसान बाड़ में इनके बीज भी छिड़क देते हैं। बाड़ करेले की बेल पांच कोण वाली हाथ की आकृति जैसी होती है। इस बेल पर हरे रंग के बीच में से गोलाकर और आगे पीछे से नुकीले आकार के फल लगते हैं। इन फलों को बाड़ करेला कहा जाता है।
स्वाद में होता है कड़वा, मीठा कर सब्जी बनती है
बाड़ करेला सीधा खाने में थोड़ा कड़वा होता है। सब्जी बनाने से पहले इसे काट कर हल्दी और नमक लगाकर मीठा किया जाता है। इसकी सब्जी औषधियों गुणों से परिपूर्ण होती है। गांव में लोग बड़े चाव से इसकी सब्जी बनाते हैं।
बाजार में रहती है अच्छी मांग
इसकी सब्जी शुद्ध और देसी होती है। यह बीड़, जोहड़ व खेतों की बाड़ों पर प्राकृतिक तरीके से ही होती है। इसलिए यह बिल्कुल जैविक सब्जी होती है। सब्जी विक्रेता ओमप्रकाश डिडवानिया ने बताया की इसकी सब्जी पूर्ण रूप से जैविक होती है, इसलिए बाज़ार में अच्छी मांग रहती है। सब्जी के साथ ही कई बीमारियों में भी इसका सेवन किया जाता है। यह 100 रुपए से लेकर 200 रुपए किलो तक बिकता है। उन्होंने बताया कि बाड़ करेला इस बार अच्छी बरसात होने से खूब पनपा है फिर भी मांग पूरी नहीं हो रही है।
मधुमेह के रोगियों के लिए है राम बाण औषधि
बाड़ करेले में विटामिन ए, बी, सी के साथ आयरन, जिंक पोटेशियम मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस सहित मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बाड़ करेला मधुमेह के रोगियों के लिए रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में रामबाण औषधि है।