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Churu दहेज प्रताड़ना के मामले में पति और सास-ससुर को कोर्ट ने सुनाई एक-एक साल की सजा

 
Churu दहेज प्रताड़ना के मामले में पति और सास-ससुर को कोर्ट ने सुनाई एक-एक साल की सजा
चूरू न्यूज़ डेस्क, चूरू  अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सादुलपुर ने करीब सात साल पुराने दहेज प्रताड़ना के एक मामले में पति सहित ससुराल पक्ष के लोगों को दोषी मानकर एक-एक वर्ष के कारावास व प्रत्येक आरोपी पर पांच पांच हज़ार रुपए के अर्थ दंड की सजा से दंडित किया है। प्रकरण अनुसार लम्बोर बड़ी गांव निवासी रिसाल सिंह की पुत्री संगीता व मोनिका की शादी दिनांक 26 अप्रेल 2018 को क्रमश: रामनिवास, सोमवीर पुत्र जयचंद निवासी मूंदीबास तहसील सादुलपुर के साथ हुई थी। शादी में पिता ने अपनी हैसियत से बढ़कर शादी का सामान देकर अपनी बेटियों को विदा किया था। आरोपी सोमवीर सरकारी नौकरी में होने व दो लड़कों की शादी की कहते हुए पति और ससुर ने नगदी पांच लाख रुपए तथा एक एसयूवी गाड़ी की मांग करते हुए लड़कियों को ले जाने से इनकार कर दिया। मौके पर मौजूद रिश्तेदारों के समझाने के बाद आरोपी पक्ष दोनों लड़कियों को विदा कर ले गया, लेकिन ससुराल जाते ही दहेज की मांग दोहराते हुए आरोपियों ने दोनों बहनों के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। हर प्रकार से शारीरिक व मानसिक तौर पर परेशान करने लगे जिस पर उनकी मांग पूरी न होने के कारण एवं दहेज के लोभी आरोपी गणों ने दिनांक 29 मई 2018 को दोनों बहनों को समस्त स्त्री धन अपने पास रखकर पहने हुए कपड़ों में गाड़ी में डालकर बस स्टैंड पर छोड़कर चले गए।

दोनों बहनों ने दर्ज करवाया मामला

पीड़िता संगीता व मोनिका ने 14 मई 2019 को स्थानीय पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा दिया। जांच अधिकारी ने आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश कर दिया। प्रकरण में न्यायाधीश लीलू राम सिहाग ने मामले में दोनों पक्षों की ओर से पेश मौखिक व दस्तावेज साक्षय, सबूतों, गवाहों का गहन अवलोकन कर आरोपी पति रामनिवास सोमवीर पुत्र जयचंद, ससुर जयचंद पुत्र चिमनाराम, सास विमल पत्नी जयचंद निवासी मूंदीबास को दोषी मानते हुए एक-एक वर्ष के कारावास व प्रत्येक आरोपी पर पांच पांच हजार रुपए का अर्थ दंड लगाया। अदम अदायगी छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई। आरोपी सोमवीर आरएसी में सेवारत है तथा आरोपी रामनिवास का अध्यापक पद पर चयन हो चुका था। प्रकरण में आरोप पत्र पेश होकर प्रकरण का न्यायालय में विचाराधीन होने से नियुक्ति नहीं दी गई। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक लोक अभियोजक नजीर अहमद तथा परिवादी की ओर से पैरवी एडवोकेट अजय सिंह सहारण ने की।