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Churu के जंगल में चिंकारा, लोमड़ी और जंगली बिल्ली दिखी

 
Churu के जंगल में चिंकारा, लोमड़ी और जंगली बिल्ली दिखी

चूरू न्यूज़ डेस्क, चूरू कोरोना काल के बाद वन्य जीवों की गणना में निरंतर विघ्न आए, लेकिन इस बार मौसम की अनुकूलता से पिछली बुद्ध पूर्णिमा को हुई वन्य जीव गणना के बार सुखद परिणाम यह निकले की अब जिले के वन क्षेत्र चिंकारा और लोमड़ियों सहित कई वन्य जीवों के लिए सुरक्षित शरणगाह बन गया है। वन विभाग और आमजन में वन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति बढ़ी सवचेती से जिले के वन क्षेत्र में अब वन्य जीव न केवल स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं, बल्कि इनका परिवार भी बढ़ रहा है। हालांकि जो वन्य जीवन लुप्त हो गए वे तो दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन जो अस्तित्व में थे उनके लिए जिले का वन क्षेत्र एक सुरक्षित विचरण का केन्द्र बन गया हैँ। जिले के रतनगढ़, राजगढ़, सुजानगढ़ चूरू, तारानगर और सरदारशहर हालांकि पक्षियों में पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे गिद्ध अब भी नजर नहीं आ रहे हैं। ताल छापर अभयारण्य है, जहां सैलानी पक्षियों की आवाजाही सर्दी में खूब होती है तो इस समय गर्मी में पीलू घुमाई करने आया हुआ है। ताल छापर में काले हरिणों का बड़ा परिवार है, तो यह जिले की राजगढ़ तहसील के वन क्षेत्र में विचरण करता दिखाई दिया हैँ। जंगली बिल्ली और मरु बिल्ली का परिवार भी बढ़ा है। कई सालों बाद यहां भेड़िया भी नजर आया है। देशकों पूर्व यहां भेड़िये खूब हुआ करते थे, लेकिन बीच में दिखाई देने बंद हो गए। इस बार भेड़िया नजर आया। वन्य प्राणियों के विभिन्न जीव जन्तुओं के परिवार समूहों में घूमते दिखे तो अब इनकी सुरक्षा की दृष्टि से वन विभाग की जिम्मेदारी और बढ़ गई हैं।

सबसे बड़ा चिंकारा परिवार : चूरू के वन क्षेत्र में सबसे बड़ा परिवार चिंकारा का नजर आया। यहां समूह में उछलते-कूदते चिंकारा जब धोरों की धरती पर घूमते है तो वन की छटा में और भी निखार आ जाता है। चिंकारा जिसे यहां हिरणियां भी कहा जाता है ,जो जिले के सभी वन क्षेत्र में विचरण करता दिखाई दे रहा हैं। वन्य जीव गणना अनुसार वर्तमान में जिले में इनकी संखया करीब 2802 है। जिनमें रतनगढ़ में 297, राजगढ़ में 1034, सुजानगढ़ में 51, चूरू में 426, तारानगर में 540 तथा सरदारशहर में 454 है।

रोजड़ा-नील गाय का बड़ा समूह : जिले के वन क्षेत्र में रोजड़ा-नील गाया जिसे यहां रोज भी कहा जाता है। एक ऐसा बलशाली वन्य जीव जो आदमी को देखते ही भाग खड़ा होता है। एक समय तो वह था जब यह सड़कों पर नहीं आता था और बीहड़ में रहकर अपनी उदर पूर्ति कर लेता था। आजकल रोज सड़कों पर आ जाते हैं पीने के पानी की तलाश में यह भटक भी जाते हैं तो बीहड़ मे यदि खाने को कुछ नहीं मिलता है तो अब यह खेतों में घुस जाते हैं। सड़क के किनारे रात को जब इन्हें किसी वाहन की रोशनी दिखाई देती है तो ये उस और दौड़ भी पड़ते हैं तो ये पूरे वेग के साथ सड़क क्रॉस करते हैं जिससे कई बार ये सड़क दुर्घटना का कारण बन जाया करते है। बहुत ही शर्मिला वन्य जीव रोज एक ताकतवर जानवर है जो पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से उपयोगी भी है। रतनगढ़ में 284, राजगढ़ में 650, सुजानगढ़ में 93, चूरू में 510, तारानगर में 280 तथा सरदारशहर में 332 सहित इनकी जिले में कुल संख्या 2149 है।