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Churu जिला मुख्यालय पर खुलेगा कृषि महाविद्यालय, बड़ी उमीदें रही अधूरी

 
Churu जिला मुख्यालय पर खुलेगा कृषि महाविद्यालय, बड़ी उमीदें रही अधूरी
चूरू न्यूज़ डेस्क, चूरू राज्य सरकार की ओर से बुधवार को पेश किए गए बजट में चूरू जिले को पानी और सड़क नेटवर्क के लिए सबसे ज्यादा बजट दिया गया है। सियासत में उलझी इंदिरा गांधी बृहद नहर परियोजना के लिए बजट में 7 हजार 582 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसका फायदा चूरू जिले को भी होगा। वहीं यमुना से शेखावाटी में पानी लाने के लिए इस साल डीपीआर तैयार होगी। डीपीआर के लिए सरकार ने पहले चरण में 60 करोड़ का बजट दिया है। वहीं चूरू जिला मुयालय पर कृषि महाविद्यालय खोलने की घोषणा हुई है। बजट को लेकर यहां मिली जुली प्रतिक्रिया रही। सत्ता पक्ष ने प्रदेश सरकार के पहले बजट को विकास के लिए मील का पत्थर बताया। वहीं विपक्ष ने इसे निराशाजनक बजट बताया। आमजन ने कहा कि सरकार ने इस बजट के माध्यम से रोजगार सृजन और विकास के बीच तालमेल बैठाने का प्रयास किया। बजट में चूरू जिले के लिए कई घोषणाएं हुई, लेकिन जानकारों की माने तो राज्य की योजनाओं से जिला जुड़ा रहेगा, जिससे आमआदमी को लाभ होगा।

दिशाहीन बजट

भाजपा सरकार द्वारा पेश किया बजट दिशाहीन, विजनविहीन और प्रदेश की 8 करोड़ जनता के लिए निराशाजनक है। किसान, युवा, महिलाएं समेत समाज का हर वर्ग खुद को ठगा महसूस कर रहा हैं। राजस्थान के बजट में न तो भविष्य की योजना हैं, न ही वर्तमान की योजना हैं। इस बजट में चूरू के लिये नये औद्योगिक क्षेत्र एवं नई सीवरेज- ड्रेनेज सिस्टम की कोई घोषणा नहीं की गई। चूरू का आम नागरिक अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा हैं। राज्य सरकार ने एक शानदार बजट प्रस्तुत किया है। शहर के गढ़ अस्पताल को सेटेलाइट चिकित्सालय में क्रमौन्नत एवं कृषि महाविद्यालय खोलना बड़ी उपलिब्ध है। यह प्रदेश के विकास को अग्रसित करनेवाला बजट है।

विरासत और विकास को मिलेगी गति

राजस्थान सरकार द्वारा जारी बजट शिक्षा, रोजगार, कृषि, सांस्कृतिक और औद्योगिक विकास से निश्चित रूप से राजस्थान में विरासत एवं विकास को गति प्रदान होगी। युवाओं के लिए विशेष रूप से युवा निति के मध्य नजर 5 साल में 4 लाख युवाओं को रोजगार देने का प्रावधान किया गया है। आमजन के लिए शानदार बजट पारित किया गया है।

योजनाओं को बदल दिया नाम

बजट मे चिरंजीवी योजना नाम बदल कर बजट सिमित करने तथा मुयमंत्री आयुष्मान योजना को आम जनता के लिए आत्मघाती है। चिरंजीवी योजना का पंजीकरण मात्र चोबीस घण्टे मे हो जाता था, लेकिन वर्तमान योजना का पंजीकरण कम से कम तीन माह में होता है और मात्र पांच लाख तक का इलाज होता है वह भी सरकारी अस्पतालों में निजी अस्पताल नाममात्र के जुडे हैं। इसके अलावा लोकलुभावन घोषणा जरूर की गई है लेकिन विकास का कोई ठोस विजन नहीं है।