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गोरा-बादल’ के रचनाकार पं. नरेंद्र मिश्र का निधन: वंदेमातरम पर लिखीं आखिरी 4 पंक्तियां; साहित्य जगत में शोक की लहर

 
गोरा-बादल’ के रचनाकार पं. नरेंद्र मिश्र का निधन: वंदेमातरम पर लिखीं आखिरी 4 पंक्तियां; साहित्य जगत में शोक की लहर

राजस्थान सहित देशभर में अपनी प्रभावशाली काव्य रचनाओं से विशेष पहचान रखने वाले वरिष्ठ साहित्यकार, कवि और ‘गोरा-बादल’ जैसी अमर कविता के रचनाकार पंडित नरेंद्र मिश्र का निधन हो गया। उनके निधन की खबर सामने आते ही साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। वर्षों से अपनी सशक्त लेखनी के लिए जाने जाने वाले पं. मिश्र ने अपने अंतिम दिनों में राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत वंदेमातरम पर अपनी आखिरी चार पंक्तियां लिखी थीं, जो अब उनके भाषाई योगदान और राष्ट्रप्रेम की अमिट छाप के रूप में देखी जा रही हैं।

परिवार के अनुसार, वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। मंगलवार देर रात उनका निधन हो गया। उनकी आयु लगभग 80 वर्ष थी। अंतिम समय में भी उनका मन साहित्य, राष्ट्र और संस्कृति के प्रति समर्पित रहा। बताया जा रहा है कि निधन से कुछ ही दिन पूर्व उन्होंने वंदेमातरम को समर्पित चार पंक्तियां लिखी थीं, जिन्हें उनके प्रशंसक अब उनकी अंतिम राष्ट्रीय भेंट मान रहे हैं।

पंडित नरेंद्र मिश्र का साहित्यिक सफर पांच दशकों से अधिक का रहा। उनकी रचना ‘गोरा-बादल’, जिसे राजस्थान और देशभर के पाठकों ने बेहद सराहा, आज भी वीरगाथा और त्याग की प्रेरणा मानी जाती है। राजपूताना के इतिहास पर आधारित इस कविता ने उन्हें घर-घर तक पहचान दिलाई। उनकी लेखनी में इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति की ऊर्जा साफ झलकती थी।

उनके निधन की खबर मिलने के बाद साहित्यकारों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और पाठकों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। कई साहित्यिक संगठनों ने इसे हिंदी जगत की बड़ी क्षति बताया है। राजस्थान के प्रमुख कवियों और लेखकों ने कहा कि पं. मिश्र की कविताएं न केवल साहित्यिक धरोहर हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को संस्कृति और सरोकारों से जोड़ने का माध्यम भी हैं।

सोशल मीडिया पर भी उनके प्रशंसकों ने उनकी स्मृतियों को साझा करते हुए श्रद्धांजलि दी। कई पाठकों ने लिखा कि पं. मिश्र ने अपनी कविताओं के माध्यम से इतिहास को जीवंत कर दिया। उनकी भाषा सरल, ओजपूर्ण और भावनाओं से भरी होती थी, जिसके कारण हर वर्ग के लोग उनसे जुड़ाव महसूस करते थे।

साहित्यिक मंचों पर भी उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा। उन्होंने कई राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में अपनी ओजस्वी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। युवा कवियों को प्रेरित करना और साहित्य में उच्च मानकों को बनाए रखने की सीख देना उनका स्वभाव था।

पंडित मिश्र के निधन पर स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य के सांस्कृतिक विभाग तक ने गहरा दुख व्यक्त किया है। कई साहित्यिक संस्थाओं ने उनके सम्मान में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित करने की घोषणा की है। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार बुधवार को परिजनों की उपस्थिति में किया जाएगा, जहां साहित्य व कला जगत से जुड़े लोग उन्हें अंतिम विदाई देंगे।

पं. नरेंद्र मिश्र के जाने से हिंदी साहित्य ने एक प्रखर और राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत स्वर खो दिया है। हालांकि उनकी रचनाएं, विशेषकर ‘गोरा-बादल’ और उनकी आखिरी राष्ट्रभक्ति पंक्तियां, आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी।