Chittorgarh Gaumukh Kund का इतिहास और अनसुलझे रहस्य
चित्तौरगढ़ न्यूज़ डेस्क, गौमुख कुंड राजस्थान के प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ क़िले के पश्चिमी भाग में स्थित एक पवित्र जलाशय है। गोमुख का वास्तविक अर्थ ‘गाय का मुख’ होता है। इस कुंड को चित्तौड़गढ़ का तीर्थ राज के नाम से भी जाना जाता हैं।
गौमुख कुंड में पानी, चट्टानों की दरारों के बीच से बहता है व एक अवधि के पश्चात् जलाशय में गिरता है। इस कुंड के जल को पवित्र माना जाता हैं। जब भी तीर्थयात्रियों और भक्त विभिन्न हिंदू आध्यात्मिक स्थानों के दौरे पर जाते हैं, तो चित्तोगढ़ में आने के बाद, वे अपनी पवित्र यात्रा के पूरा होने के लिए गौमुख कुंड आते हैं।
इस कुंड का अकार आयताकार है। इस छोटी प्राकृतिक गुफ़ा से बिल्कुल स्वच्छ जल की भूमिगत धारा बारह माह बहता हैं। पर यह जल कहा से आता हैं यह भी आश्चर्य हैं। यहां यात्रियों को जलाशय की मछलियों को खिलाने की अनुमति है।
इस जलाशय के पास स्थित रानी बिंदर सुरंग भी एक विख्यात आकर्षण है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, यह सुरंग एक भूमिगत कक्ष की ओर जाती है, जहां चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी ने ‘जौहर’ किया था।
यह जलाशय पुराने समय में पानी का एक बड़ा स्रोत था। भगवान शिव लिंग और देवी लक्ष्मी मूर्ति उस बिंदु पर स्थित है जहां से पानी गिरता है। प्राकृतिक सुंदरता यहां दिखने को मिलती हैं। पूरे शहर का शानदार दृश्य यहां से भी लिया जा सकता है।
