Chittorgarh Kumbh Swami Temple का इतिहास और जानकारी
चित्तौरगढ़ न्यूज़ डेस्क, कुम्भास्वामी मन्दिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ क़िला में स्थित है। यह मन्दिर मूल रूप से भगवान विष्णु के शूकर अवतार ‘वराह’ को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण महाराणा संग्राम ने अपनी पुत्रवधू मीरा की विशेष विनती पर किया था।
कुम्भास्वामी मन्दिर भगवान विष्णू को समर्पित है, जो यहाँ वराह अवतार में पूजे जाते हैं (उनका शुकर अवतार)। मन्दिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में करवाया गया था। लेकिन महाराणा कुम्भा (1433-68 ई.) द्वारा इस मन्दिर का बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार किया गया था।
यह चित्तौड़गढ़ किले में स्थित कुंभा मंदिर के निकट स्थित है। मंदिर की वास्तुकला चित्तौड़गढ़ में स्थित कालिका माता मंदिर के समान ही है। मन्दिर एक ऊँचे अधिष्ठान पर निर्मित है तथा इसमें एक गर्भगृह, एक अन्तराल, एक मंडप, एक अर्द्ध मंडप तथा एक खुला प्रदक्षिणा पथ है।
इस सुंदर मंदिर में ऊँची छत, पिरामिड के आकार का स्तंभ है, जबकि फर्श पर मीरा के गुरु वाराणसी के संत रविदास के पद चिन्ह हैं। साथ ही मन्दिर के पृष्ठ भाग के मुख्य आले में भगवान वराह की मूर्ति दर्शाई गई है।
मंदिर की दीवारों पर कई देवी देवताओं के सुंदर चित्र हैं। मन्दिर के सामने एक छतरी के नीचे गरुड़ की मूर्ति है। इस जगह के शांत वातावरण, धार्मिक महत्व और साथ ही किंवदंतियों से जुड़े होने के कारण यहाँ भक्तों की ताँता लगा रहता हैं।
