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Chittorgarh क्षमता के मुकाबले सिर्फ 62 फीसदी भरा घोसुंडा बांध

 
Chittorgarh क्षमता के मुकाबले सिर्फ 62 फीसदी भरा घोसुंडा बांध
चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौड़गढ़ मानसून लगभग विदा होने के कगार पर है। चित्तौड़गढ़ के मुय पेजयल स्त्रोत घोसुण्डा बांध में भी क्षमता के मुकाबले अब तक 62 फीसदी पानी ही आया है। आने वाले समय में चित्तौडग़ढ़ में पानी की किल्लत आ सकती है। इधर, बेड़च नदी का पानी व्यर्थ जा रहा है। इसका उपयोग हो तो सरकार को करोड़ों रुपए की आमदनी हो सकती है।चित्तौडग़ढ़ शहर का घोसुण्डा बांध को मुय पेयजल स्त्रोत माना जाता है। इस बांध से एक औद्योगिक इकाई को भी पानी दिया जाता है। इस बार घोसुण्डा बांध क्षमता के मुकाबले 62 फीसदी ही भर पाया है। अब इस बांध में पानी की आवक होने की उमीद भी नहीं के बराबर है।

ऐसे में इस बांध से उद्योग को पानी देने के बजाय सरकार को बेड़च नदी पर फोकस करने की आवश्यकता है। बेड़च व गंभीरी नदी का पानी संगम महादेव से होकर बीसलपुर बांध में जाता है और वहां से बंगाल की खाड़ी तक पहुंचता है। चूंकि, बीसलपुर बांध पूरा भर चुका है। ऐसे में बेड़च नदी का पानी वहां तक पहुंचने के बाद बंगाल की खाड़ी तक जाएगा। यानी पानी व्यर्थ चला जाएगा। सरकार यदि चाहे तो वह फिलहाल घोसुण्डा बांध के पानी के बजाय बेड़च नदी का पानी औद्योगिक इकाई को दे सकती है। इससे सरकार को करोड़ों का राजस्व भी प्राप्त होगा और बेड़च नदी का पानी भी व्यर्थ नहीं जाएगा। इस तरह घोसुण्डा बांध में भी पानी बचा रहेगा और बेड़च नदी के व्यर्थ बहते पानी का उपयोग होने के साथ ही सरकार को करोड़ों की आमदनी भी होगी।

गौरतलब है कि गंभीरी और बेड़च नदी का पानी यहां से संगम स्थल पहुंचता है, जहां दोनों नदियों का संगम होता है। यहां से दोनों नदियों का पानी बीसलपुर बांध पहुंचता है। सरकार के फायदे की बात यह है कि इस बार बीसलपुर बांध पूरा भर चुका है और अब उसे और पानी की आवश्यकता नहीं है।