Chittorgarh सजे मंदिर, आज घर-घर विराजेंगे गौरी पुत्र भगवान गजानन

चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौड़गढ़ प्रथम पूज्य देव भगवान गणेश का प्राकट्य उत्सव गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाया जाएगा। घर-घर में गजानंद का अभिषेक, पूजन, आरती कर मोदक का विशेष भोग अर्पित किया जाएगा। घरों के मुख्य द्वार के ऊपर स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा-अर्चना होगी। गणेश मंदिरों में अलसुबह से देर रात्रि तक धार्मिक अनुष्ठान होंगे। दस दिवसीय गणेश पूजन महोत्सव का आगाज गणेश चतुर्थी से होगा। घरों, गली-मोहल्लों में भगवान गणेश की प्रतिमाओं को स्थापित कर दस दिनों तक पूजा-अर्चना की जाएगी। अनन्त चतुर्दशी को गणेश पूजन महोत्सव की पूर्णाहुति होगी। दस दिनों तक पूजित गणेश प्रतिमाओं का जल में विसर्जन किया जाएगा। गणेश चतुर्थी को लेकर शहर के गणेश मंदिरों के रंग-रोगन के बाद रंग-बिरंगी रोशनी से सजाने का क्रम प्रारंभ हो गया है। मंदिर ट्रस्ट, समितियों और श्रद्धालुओं की ओर से गणेश चतुर्थी के दिन होने वाले अभिषेक, पूजन, आरती, महाप्रसाद वितरण सहित धार्मिक अनुष्ठानों की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। कॉलोनियों-मोहल्लों में दस दिवसीय गणेश पूजन महोत्सव को लेकर देररात तक पंडाल तैयार किए गए।
बाजारों में होगी जमकर खरीदारी
गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। गणेश चतुर्थी स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त भी है, इसलिए इस दिन अनेक वाहन खरीद, नए आभूषणों की खरीद, प्रॉपर्टी की खरीद, नए व्यापार का आरंभ आदि किया जाता है। व्यापारियों ने इस दिन के लिए खास तैयारी कर ली है। ग्राहकों की मांग के अनुसार उत्पाद अपने प्रतिष्ठानों में सजा लिए हैं। गणेश चतुर्थी पर वैधृति योग, रवि योग व कुमार योग का संयोग रहेगा। इनके अलावा स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र का भी संयोग रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में ये योग बेहद शुभ माने जाते हैं। इन शुभ योग में प्रथम पूज्य की पूजा करने से भक्तों के सभी विघ्न दूर होंगे और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होगी। पंचाग के मुताबिक, 19 सितंबर को उदयातिथि में गणेश चतुर्थी की शुरुआत होगी। चित्तौड़ में यह पर्व 10 दिनों तक चलता है। अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमा का विसर्जन कर लोग इस उत्सव का समापन करते हैं।
भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी तिथि 19 सितम्बर के दिन 1:43 तक रहेगी। गणेश पुराण, स्कंद पुराण सहित धर्मग्रंथों में पार्थिव (मिट्टी) से गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कर उनके पूजन का विशेष उल्लेख मिलता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार किसी पवित्र नदी, जलाशय की मिट्टी में सुगंधित द्रव्य मिलाकर अलग-अलग कामना के लिए पार्थिव (मिट्टी) से गणेश प्रतिमाओं का निर्माण व पूजन का विशेष महत्व बया गया है। पृथक-पृथक कामना के लिए गणेश के अनेक मंत्रों से भगवान गजानन्द का सहस्त्रार्चन, षोडशोपचार पूजन किया जाता है।