Chittorgarh पचास फीसदी सरकारी स्कूलों में पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं
चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, पुस्तकालय ज्ञान का भंडार और स्व अध्यन का केन्द्र भी। यहां विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकें प्राप्त कर अपने ज्ञान का विस्तार करते हैं। स्कूल में पुस्तकालय ही वह जगह है जहां बच्चों में किताब पढऩे और विषयों को गहनता से समझने की ललक पैदा होती है। महापुरुषों की जीवनी एवं साहित्यकारों की कृतियां पढऩे का मौका मिलता है। पर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ज्ञान के इन भंडारों और महापुरुषों के विचारों वाले आधे से अधिक पुस्तकालय बिना पुस्तकालय अध्यक्ष के संचालित हो रहे हैं। प्रदेश में 19 हजार 740 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में से 15 हजार 580 में पुस्तकालय अध्यक्ष का पद ही सृजित नहीं किया गया है। इन स्कूलों में 53 लाख 38 हजार 68 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। समग्र शिक्षा अभियान के तहत हर साल स्कूलों में पुस्तकालय के लिए लाखों रुपए की पुस्तकें खरीदी जा रही हैं। पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं होने से यह पुस्तकें तालों में ही बंद पड़ी रहती है।
तीन दशक से नए पद सृजित नहीं
शिक्षा विभाग में बीते तीन दशक में प्रथम श्रेणी व द्वितीय श्रेणी पुस्तकालय अध्यक्ष का एक भी नया पद सृजित नहीं किया गया है। इससे पुस्तकालय अध्यक्षों को तीन दशक की सेवा पूरी करने के बाद भी पदोन्नति नहीं मिल रही है।
इस तरह की गई भर्ती
वर्ष 2016 में 562, 2018 में 700 तथा 2022 में 470 पदों पर तृतीय श्रेणी पुस्तकालय अध्यक्षों की भर्ती की गई थी। वर्तमान में 500 पदों पर तृतीय श्रेणी पुस्तकालय अध्यक्षों की भर्ती प्रक्रियाधीन है। इसी तरह 25 साल बाद वर्ष 2023 में द्वितीय श्रेणी पुस्तकालय अध्यक्ष पद के लिए 300 पदों पर भर्ती की निकाली गई है। जो प्रक्रियाधीन है।
यह है प्रावधान
वर्ष 2015 के स्टाफिंग पैटर्न के अनुसार कक्षा 6 से 12 तक 201 नामांकन होने पर एक पुस्तकालय अध्यक्ष का पद सृजित करने का प्रावधान है। स्टाफिंग पैटर्न लागू होने के बाद 10 हजार से अधिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत किया गया। इन विद्यालयों में प्राचार्य से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक हर संवर्ग के पद सृजित किए गए पर एक भी विद्यालय में पुस्तकालय अध्यक्ष का पद सृजित नहीं किया गया।
