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चित्तौड़गढ़ में अरावली की नई परिभाषा और मनरेगा नाम परिवर्तन के विरोध में कांग्रेस का बड़ा प्रदर्शन

 
चित्तौड़गढ़ में अरावली की नई परिभाषा और मनरेगा नाम परिवर्तन के विरोध में कांग्रेस का बड़ा प्रदर्शन

चित्तौड़गढ़ में गुरुवार को अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा तय करने और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के नाम परिवर्तन को लेकर सियासी माहौल गरमा गया। पूर्व राज्यमंत्री सुरेंद्रसिंह जाड़ावत के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहर में जोरदार प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरे और सरकार के फैसलों के खिलाफ नारेबाजी की।

प्रदर्शन की शुरुआत वन विभाग कार्यालय से की गई, जहां से कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पैदल मार्च निकाला। मार्च शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए आगे बढ़ा। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने अरावली पर्वतमाला को लेकर राज्य सरकार की नीति पर सवाल उठाए और इसे पर्यावरण के लिए घातक बताया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अरावली की नई परिभाषा तय करने से पहाड़ियों को नुकसान पहुंचेगा और अवैध खनन को बढ़ावा मिलेगा।

पूर्व राज्यमंत्री सुरेंद्रसिंह जाड़ावत ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि अरावली सिर्फ पहाड़ों की श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह राजस्थान और उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन की रीढ़ है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अरावली की परिभाषा बदलकर कॉर्पोरेट हितों को फायदा पहुंचाना चाहती है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और तेज होगा। जाड़ावत ने कहा कि कांग्रेस पर्यावरण से किसी भी तरह का समझौता नहीं होने देगी।

मनरेगा के नाम परिवर्तन को लेकर भी कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया। जाड़ावत ने कहा कि मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार और सम्मान की गारंटी है। महात्मा गांधी के नाम से जुड़ी इस योजना का नाम बदलना उनकी विचारधारा और योगदान का अपमान है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार योजनाओं के नाम बदलकर जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाना चाहती है।

प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए और दोनों फैसलों को वापस लेने की मांग की। मार्च के दौरान पुलिस बल तैनात रहा और स्थिति शांतिपूर्ण बनी रही। प्रदर्शन के बाद कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपने की बात कही।

कांग्रेस नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अरावली की नई परिभाषा और मनरेगा के नाम परिवर्तन के फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया, तो प्रदेशभर में आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इस प्रदर्शन के जरिए कांग्रेस ने साफ संकेत दिया है कि पर्यावरण और जनहित से जुड़े मुद्दों पर वह सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष जारी रखेगी।