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Chittorgarh आंखों, लीवर और स्त्री रोग के इलाज के लिए दवाएं कारगर साबित नहीं

 
Chittorgarh आंखों, लीवर और स्त्री रोग के इलाज के लिए दवाएं कारगर साबित नहीं

चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौड़गढ़ खाद्य पदार्थों में जहां मिलावट का धंधा जोरों पर है। वहीं, सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली दवाइयों में भी अब गड़बड़ी होने लगी है। सरकार उपचार की आस में आने वाले मरीजों को जहां नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है। वहीं, हकीकत यह है कि इन दवाओं की गुणवत्ता भगवान भरोसे है। यही कारण है कि लोगों का रुझान नि:शुल्क दवाओं के प्रति कम हो रहा है और निजी अस्पताल या दवा की दुकानों पर मरीजों की भीड़ नजर आ रही है। हाल यह है कि सितबर में ही सरकारी अस्पतालों और बाजार में आने वाली 11 तरह की दवाएं जांच में घटिया साबित हो गई। इनमें आंखों की पुतली फैलाने वाली दवा, लिवर, स्त्री रोग के उपचार में काम आने वाली दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं के सैपल फेल होने से फायदा होने की बजाए मरीजों की रिकवरी भी प्रभावित हो रही है। कई दवाइयों में जिस दवा की मात्रा दिखा रखी है। उस दवा की मात्रा घटाकर आधी कर दी गई है तो किसी में दवा की मात्रा बढ़ा दी गई। मिलावट के बढ़ते कारोबार पर अंकुश नहीं लगने से कई मिलावट खोर रोगियों की सेहत के साथ खुला खिलवाड़ कर रहे हैं।

जांच में मिलीं अमानक

औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से सितबर के पहले पखवाड़े में लिए सैपल में आठ तरह की दवाएं जांच में अमानक पाई गई। जिनमें लीवर, नेत्र रोग, मनोरोग, एंटीबॉयोटिक, पेट में गैस दूर करने वाली दवा, पेट के कीड़े मारने वाली दवाओं सहित आठ सैपल अमानक मिले। दूसरे पखवाड़े में एंटीबॉयोटिक, पेंटाप्राजोल, लीवो सेट्रीजन टेबलेट जांच में अमानक निकली। इन दवाओं के सैपल अमानक मिलने के बाद औषधि नियंत्रण विभाग ने इन दवाओं की सरकारी अस्पतालों में सप्लाई और बाजार में वितरण पर रोक लगा दी है। साथ ही जहां यहां दवाएं पहुंच चुकी हैं, वहां इनका वितरण रोक दिया गया है।