Aapka Rajasthan

Chittorgarh आज अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस, 83 साल की उम्र में भी सृजन जारी रखे हुए हैं मृदुल

 
Chittorgarh आज अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस, 83 साल की उम्र में भी सृजन जारी रखे हुए हैं मृदुल

चित्तौरगढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौरगढ़ कुछ करने की इच्छाशक्ति हो तो उम्र व विपरीत प​रिस्थितियां भी बाधक नहीं बन सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखा रहे हैं शहर के वरिष्ठ साहित्यकार शिव मृदुल। अभी 83 वर्ष के हैं। अब तक उनकी रचित, अनुवादित या संपादित 30 से अधिक पुस्तकें साहित्य, इतिहास, शिक्षा व उच्च शिक्षा क्षेत्र में जगह बनाए हुए है। इनमें से 5 नई पुस्तकें है, जो गत 3 साल में यानी उम्र के 80 साल बाद लिखी गई। मृदुल का सृजन अनवरत जारी है। अब भी दिन-रात लेखन कार्य करते हैं।

नई पांच पुस्तकों में से एक- विज्ञान जैसे कठिन विषय को गाई जाने वाली कविताओं के माध्यम से पढ़ाने के लिए लिखी गई। सरकारी शिक्षक रहे शिव मृदुल के साहित्य सफर की शुरुआत 1960 के दशक में हुई। दर्जी समाज के बेहद साधारण घर-परिवार से हैं। नाम के आगे मृदुल उपनाम काव्य लेखन-साहित्य के लिए ही जोड़ा। हिंदी, राजस्थानी एवं अंग्रेजी में लिखी रचनाएं पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है। बरसों तक राजस्थान राजस्थान शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर की सृजन संगोष्ठियों के अलावा शिशु शिक्षा, आंगनवाड़ी परियोजना, प्राथमिक एवं उप्रा कक्षाओं के लिए पूरक पठन सामग्री, पाठ्यपुस्तक लेखक मंडल में रहे।

तीनों भाषाओं में उनके लिखे 15 पाठ उप्रावि कक्षाओं में शामिल रहे। अभी तीसरी पीढ़ी इनको पढ़ रही है। इनकी पुस्तक "शत-शत नमन हिमालय की भूमिका शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के पूर्व निदेशक भंवरलाल शर्मा ने लिखी। जो राजस्थान साहित्य अकादमी की पाण्डुलिपि प्रकाशन सहयोग योजना में 1987 में प्रकाशित हुई। विभिन्न जिलों में सतत साक्षरता अभियान पाठ्यपुस्तकों के लेखक मंडल में भी कार्य कर चुके।