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Chittorgarh साढ़े तीन हजार महिलाओं की तुलना में चार पुरुषों ने नसबंदी करायी

 
Chittorgarh साढ़े तीन हजार महिलाओं की तुलना में चार पुरुषों ने नसबंदी करायी
चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौड़गढ़ बढ़ती आबादी पर काबू पाने के लिए जरूरी नसबंदी अभियान में स्वास्थ्य विभाग पिछड़ता नजर आ रहा है। इसका प्रमुख कारण भ्रांतियों के चलते पुरुष नसबंदी के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। जिले में महिलाओं के मुकाबले पुरुष नसबंदी न के बराबर है। हालात यह है कि इस साल अब तक 3478 महिलाओं ने नसबंदी कराई है। जबकि इनके मुकाबले महज चार पुरुष नसबंदी के लिए तैयार हुए।  नसबंदी के पिछले पांच साल के आंकड़े खंगाले तो पता चला कि 19 हजार 47 महिलाएं नसंबदी करवा चुकी हैं। जबकि पुरुषों की संख्या महज 106 तक ही है। आंकड़े बता रहे हैं कि नसबंदी कराने में पुरुष रूचि नहीं दिखा रहे हैं। इसके के पीछे कई कारण हैं पर विभागीय अधिकारी इसके पीछे सामाजिक बर्ताव और जानकारी अभाव मान रहे हैं। दरअसल नसबंदी को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई तरह की भ्रांतियां है।

यह दी जाती है राशि

नसबंदी केस पर महिला लाभार्थी को दो हजार रुपए व प्रसव के सात दिन के भीतर नसबंदी कराने पर तीन हजार रुपए, पुरुष नसंबदी पर तीन हजार रुपए दिए जाते हैं। वहीं लाभार्थियों को नसंबदी के लिए प्रेरित करने वाले प्रेरक को भी अधिकतम चार सौ रुपए दिए जाते है। फैल होने पर मिलता है मुआवजा: नसबंदी कराने के बाद यदि किसी कारणों से नसबंदी असफल हो जाती है तो उसके एवज में क्षतिपूर्ति राशि मिलती है। जानकारी के अनुसार इस वर्ष भी कुछ नसंबदी असफल रहने पर क्षतिपूर्ति राशि दी गई।

पांच साल नसबंदी में कितना अंतर

साल पुरुष महिला

2019-20 33 4099

2020-21 22 3771

2021-2022 30 3486

2022-23 17 4213

2023-2024 4 3478

यह सही है नसबंदी कराने में पुरुष असहज महसूस करते है। समझाइश के बाद भी कई बार तैयार नहीं होते है। इसके पीछे कई भ्रांतियां है। हालांकि अब पुरुष भी नसबंदी के लिए आगे आ रहे है। हमने ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की नसबंदी से लक्ष्य हासिल कर लिया है।