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Chittorgarh अभद्र टिप्पणी करने पर दलित बुजुर्ग के सिर पर जूते रखकर मंगवाई मांगी, मामला दर्ज

 
Chittorgarh अभद्र टिप्पणी करने पर दलित बुजुर्ग के सिर पर जूते रखकर मंगवाई मांगी, मामला दर्ज

चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौड़गढ़ क्षेत्र के गांव दुगार में बगड़ावत सुनाने वाले एक दलित वृद्ध को जूते सिर पर रखकर माफी मांगनी पड़ी। फिर भी उसे डराया धमकाया। इस घटना के बाद दलित समाज ने सोमवार को एसपी से शिकायत की। जिस पर मंगलवार को पारसोली थाने में करीब 20 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया। बताया गया है कि गांव दुगार के रहने वाले भूरा लाल गुर्जर और उसके साथ इसी गांव के 70 साल के दलित वृद्ध ने करीब 3 माह पहले गांव खुटिया में भगवान देवनारायण की कथा बगड़ावत सुनाई थी। बगड़ावत के दौरान गीत सुनाते वृद्ध ने अशोभनीय टिप्पणी कर दी। इस टिप्पणी पर उस वक्त किसी का ध्यान नहीं गया। बाद में जब सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से इसका पता चला तो गुर्जर समाज में रोष फैल गया। 16 सितंबर को गांव दुगार के देवरे पर गुर्जर समाज और ग्रामीणों की बैठक बुलाई।

वहीं दलित वृद्ध को जूते सिर पर रखकर माफी मांगने को कहा। वृद्ध ने गुर्जर समाज के लोगों के जूते अपनी साफी में बांधकर सिर पर उठाए और माफी मांगी। इसके बाद भी उसे धमकी दी जा रही हैं। इस मामले का पता चलते ही बेगूं डीएसपी बद्रीलाल राव, पारसोली थानाधिकारी देवेन्द्र कुमार गांव पहुंचे और दुगार में ग्रामीणों की बैठक लेकर घटनाक्रम की जानकारी जुटाई। पारसोली थानाधिकारी देवेन्द्र कुमार ने बताया कि गांव दुगार के रहने वाले वृद्ध डालू सालवी की रिपोर्ट पर हजारी लाल, रतनलाल, उगमीचंद, भंवरलाल, जमनालाल, भेरुलाल गुर्जर सहित करीब 20 लोगों के विरुद्ध जातिगत प्रताड़ित करने, जूते सिर पर उठाने को मजबूर करने का मामला दर्ज किया गया।

हत्या के दोषी को उम्रकैद

बेगूं एडीजे कोर्ट के न्यायाधीश राकेश गोयल ने मंगलवार को अपने फैसले में कुल्हाड़ी से हत्या के आरोपी को उम्रकैद की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है। मामला गांव काला का झोपड़ा का है। करीब 7 साल पहले जमीन विवाद की रंजिश को लेकर हत्या की गई। एडीजे राकेश गोयल ने कुल्हाड़ी से गर्दन काटकर हत्या के मामले में गांव काला का झोपड़ा, बिछौर के रहने वाले गोपाल पुत्र बंशीलाल कुमावत को दोषी ठहराया है। हत्या के आरोपी गोपाल कुमावत को धारा 302 में उम्र कैद और 50 हजार रुपए जुर्माना। जुर्माना नहीं देने पर 3 साल का फिर से कारावास की सजा सुनाई। धारा 324 में 3 साल की सजा और 5 हजार रुपए जुर्माना। जुर्माना नहीं देने पर 3 साल का फिर कारावास होगा। एपीपी फरीद मिर्जा ने पीड़ित पक्ष की पैरवी करते हुए 22 गवाह और 32 दस्तावेज पेश किए।