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Chittorgarh सर्व पितृ अमावस्या दो को मिलेगी पितरों की विशेष कृपा

 
Chittorgarh सर्व पितृ अमावस्या दो को मिलेगी पितरों की विशेष कृपा

आश्विन कृष्ण अमावस्या अथवा सर्वपितृ अमावस्या इस बार बुधवार 2 अक्टूबर को है। मान्यता है कि इस दिन पितृगण पुन: देव लोक की ओर प्रस्थान करते हैं। इस दिन पितरों के नाम से दान पुण्य करने से वे प्रसन्न होकर सुखी रहने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। जिससे सुख समृद्धि की प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप किसी भी कारणवश तिथि पर अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो सर्वपितृ अमावस्या पर उनके निमित्त दान-पुण्य करने से उनको तृप्ति प्राप्त होती है।गरुड़ पुराण के आधार पर ज्योतिर्विद डॉ. संजय गील ने बताया कि अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं। अत: अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

पितृ अमावस्या कब से कब तक

हिंदू पंचांग के अनुसार मंगलवार 1 अक्टूबर को रात्रि 9 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होकर गुरुवार 03 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार बुधवार 02 अक्टूबर को सर्व पितरों संबंधी कार्य करना उतम रहेगा।

यह हैं मुहूर्त

कुतुप मुहूर्त: प्रात: 11:46 से 12:34 तक

रौहिण मुहूर्त: 12:34 से 01:21 तक

अपराह्न काल: 01:21 से 03:43 तक

पितृ अमावस्या पर यह करें

इस दिन भगवान विष्णु के हंस स्वरूप की पूजा करें। पितृगणों के लिए श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान किया जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वयं अन्न-जल ग्रहण करने से पहले पितरों को जल दें। पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और एक मटकी में जल भरकर वहां रख आएं। गाय को हरा चारा या फिर पालक जरूर खिलाएं। शाम को पितरों के निमित्त तेल का चौमुखी दीपक दक्षिण दिशा की तरफ जलाकर रखें।

ऐसे दें पितरों को विदाई

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना उत्तम माना जाता है। भोजन कराने के पूर्व पंचबली दें और हवन करें। इस दिन स्टील के लोटे में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें। इसके साथ कोई भी सफेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ लेकर पीपल को अर्पित करें।