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Chittorgarh मोबाइल पर रील देखने की लत बच्चों की पढ़ाई करने की क्षमता छीन रही

 
Chittorgarh मोबाइल पर रील देखने की लत बच्चों की पढ़ाई करने की क्षमता छीन रही
चित्तौरगढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौरगढ़  मोबाइल में रील्स देखना अब लत न रहकर बीमारी में बदलने लगी है। इससे बच्चों व किशोरों के काम करने की दक्षता प्रभावित हो रही है। रील्स देखने वाले उदासी, नींद न आना, चिड़चिड़ाहट से तो गुजर रहे थे, अब स्कूल, कोचिंग या कॉलेज जाने वाले बच्चे अधिक देर तक अपना ध्यान एक विषय पर नहीं लगा पा रहे हैं। चिकित्सालयों में बड़ी संया में रील्स देखने से हुए दुष्प्रभाव के मामले आ रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि रील्स देखते समय 15 से 20 सेकंड ही स्क्रीन पर नजर ठहरती है। फिर दूसरी रील्स आती है। यह आदत बन जाती है व बच्चा किसी एक चीज में अधिक मन नहीं लगा पाता है।

डिजिटल वेलपिन को अपनाएं

मोबाइल में डिजिटल वेलबीन का विकल्प या एप है। इसमें किसी एक एप को लॉक या टाइमर लगाया जा सकता है। निश्चित समय पर वह एप लॉक हो जाएगा। पढ़ते समय भी एप लॉक किए जा सकते हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि इस प्रकार के इंतजामों से बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जा सकता है। हालांकि वे कहते हैं कि परिवार के बाकी सदस्यों को भी जिमेदारी निभाते हुए इस प्रकार की गतिविधियों से दूरी बनानी होगी।

रील्स देखने से दुष्प्रभाव

पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में कमी।

तेजी से बदलते दृश्य पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या।

लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से शारीरिक गतिविधियों में कमी।

नकारात्मक या उत्तेजक सामग्री से चिंता और अवसाद।

बातचीत में कमी से सामाजिक कौशल प्रभावित।

शिक्षा का स्तर गिरना।

बच्चों में आक्रामकता बढ़ना।