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Chittorgarh 10वीं-12वीं के प्रति पेपर पारिश्रमिक का प्रावधान, भेदभाव

 
Chittorgarh 10वीं-12वीं के प्रति पेपर पारिश्रमिक का प्रावधान, भेदभाव 

चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क, चित्तौड़गढ़ बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी दे रहे शिक्षकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। 28 मार्च से शुरू हुई आठवीं बोर्ड परीक्षा में वीक्षक से लेकर केंद्राधीक्षक तक सभी बिना पारिश्रमिक के ड्यूटी कर रहे हैं. ऐसा दो साल से चल रहा है. इतना ही नहीं, उत्तर पुस्तिकाओं को संकलन केंद्र तक पहुंचाने का खर्च भी केंद्रों को खुद उठाना होगा। वहीं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की ओर से आयोजित 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी करने वाले कार्मिकों को प्रति ड्यूटी 90 से 135 रुपए मिल रहे हैं। आठवीं बोर्ड परीक्षा रजिस्ट्रार शिक्षा विभागीय परीक्षाएं, बीकानेर द्वारा आयोजित की जा रही है। जिले में 209 परीक्षा केंद्रों पर बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं। जिसमें 23217 पंजीकृत हैं।

इसमें लड़कियों की संख्या 11046 है। इस परीक्षा में पर्यवेक्षकों, पर्यवेक्षकों, अतिरिक्त केंद्राधीक्षकों और केंद्राधीक्षकों के मानदेय की तो बात ही छोड़ दीजिए। उत्तर पुस्तिकाओं को केंद्र से संग्रहण केंद्र तक भेजने का परिवहन खर्च स्कूल खुद उठा रहे हैं। आकस्मिकता के नाम पर मिलने वाला खर्च केंद्र को नहीं दिया जा रहा है. 2019 तक आठवीं बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी पर रहने के साथ उत्तर पुस्तिकाएं जांचने पर भी मिलता था यह पारिश्रमिक {जानकारी के अनुसार 2019 तक आठवीं बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को पारिश्रमिक मिलता था। इसमें प्रत्येक पर्यवेक्षक को प्रतिदिन 80 रुपये, परीक्षा प्रभारी को 90 रुपये, केंद्राधीक्षक को 100 रुपये और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 50 रुपये प्रतिदिन पारिश्रमिक मिलता था.

इसी तरह उत्तर पुस्तिका जांचने के लिए प्रति कॉपी पांच रुपये दिए गए। {यहां माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा में केंद्र अधीक्षक को 150 रुपए प्रतिदिन, अतिरिक्त केंद्र अधीक्षक को 110 रुपए और पर्यवेक्षक को 90 रुपए प्रतिदिन मिलते हैं। परीक्षा व्यवस्था में सहायता करने वालों को छात्रों की संख्या के आधार पर प्रतिदिन 90 से 140 रुपये मिलते हैं। बोर्ड परीक्षाओं में पर्यवेक्षक के रूप में ड्यूटी करने वाले शिक्षकों को पर्यवेक्षक भत्ता दिया जाता है, जबकि 8वीं बोर्ड परीक्षा में कई वर्षों से ड्यूटी करने वाले पर्यवेक्षकों को कोई भत्ता नहीं देना न्यायसंगत नहीं है। बकाया मानदेय का भुगतान एवं समान भत्ते का प्रावधान सर्वोच्च प्राथमिकता पर तत्काल किया जाए। साथ ही पारिश्रमिक 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के समान होना चाहिए। ^-प्रमुद कुमार गौड़, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन