रणथंभौर में बाघों का टकराव चरम पर, मुकंदरा-रामगढ़ रिजर्व में शिफ्टिंग में आखिर क्यों हो रही देरी ?

बूंदी न्यूज़ डेस्क - रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ने से संघर्ष की स्थिति बन रही है। वहां 80 बाघ हैं, जबकि उसकी देखभाल क्षमता 43 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। सरिस्का भी 42 बाघों के साथ अपनी सीमा पार कर चुका है। रणथंभौर में पल रहे शावकों को नए इलाके की जरूरत है। ऐसे में बाघों को मुकुंदरा और रामगढ़ रिजर्व में शिफ्ट करके संघर्ष टाला जा सकता है। लेकिन, इन दोनों रिजर्व में बाघों की कमी के बावजूद शिफ्टिंग में देरी हो रही है। वर्ष 2023 में रणथंभौर से तीन बाघिनों को रामगढ़ लाया जाना था, लेकिन अब तक एक की शिफ्टिंग लंबित है।
डब्ल्यूआईआई ने महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से प्रे-बेस की कमी का मुद्दा उठाया है और शिफ्टिंग में देरी की बात कही है। गर्मी का मौसम आने पर बाघों का इंतजार लंबा न हो जाए, इसके लिए रणथंभौर से एक-दो बाघों को मुकुंदरा और रामगढ़ शिफ्ट किया जा सकता है। ^डब्ल्यूआईआई प्रे-बेस की कमी का हवाला देकर शिफ्टिंग रोक रहा है। इससे पहले भी दो बाघ रामगढ़ में रह रहे थे, तो क्या उन्हें प्रे-बेस नहीं मिला। रिजर्व फील्ड डायरेक्टर सुगनाराम ने बताया कि एनटीसीए का किसी भी रिजर्व से बाघ लाने का प्रोटोकॉल है। कई बार कोई बाघ बाहर चला जाता है, तो उसे रेस्क्यू कर दूसरे रिजर्व में छोड़ा जा सकता है।
जैसे सरिस्का का बाघ हरियाणा पहुंचा, उसे बूंदी लाया गया। एक्सपर्ट की राय और प्रे-बेस पर्याप्त है या नहीं, इसके लिए डब्ल्यूआईआई को पत्र लिखा गया है। आगे की कार्रवाई की जाएगी। ^किसने कहा है कि बाघ शिफ्टिंग में प्रे-बेस को लेकर कोई दिक्कत है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। जैसे आप चिंतित हैं, वैसे ही हम भी चिंतित हैं। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। अभी ऐसी कोई बात नहीं है कि हम कुछ बता सकें। अगर बाघों की शिफ्टिंग को लेकर ऐसी कोई बात सामने आती है, तो हम जरूर बताएंगे। जल्दी ही आपको अच्छी खबर मिलेगी, पहले हमारे स्तर पर निर्णय हो जाए।