Aapka Rajasthan

Bundi में बनेंगे एलोवेरा से बैट्री सेल, देश का पहला प्लांट

 
Bundi में बनेंगे एलोवेरा से बैट्री सेल, देश का पहला प्लांट
बूंदी न्यूज़ डेस्क, बूंदी जिले में देश का पहला एलोवेरा से बैट्री बनाने का प्लांट स्थापित किया जाएगा। रीको इन्वेस्टमेंट समिट 2024 के तहत एमओयू किया गया है।शहर के हट्टीपुरा में देश के पहले शत प्रतिशत पर्यावरण-अनुकूल एलोवेरा बैट्री सेल का प्लांट लगाया जाएगा, जिसकी कुल क्षमता एक साल में 4 करोड़ सेल बनाने की है।समिट के एमओयू करने के बाद निमिशा व नवीन ने बताया मेक के तहत वे पर्यावरण अनुकूल एलोवेरा सेल बनाते हैं। ट्रैक के तहत वे उपयोग की गई बैट्रियों के सेल एकत्र करते हैं और रीसाइक्लिंग के तहत उन्हें टिकाऊ उर्वरकों और मशीनों में रीसाइकिल करते हैं।उन्हें स्पेन में ग्लोबल विनर के रूप में मान्यता दी गई है और एलोवेरा बैट्रियों के नवाचार के लिए ऊर्जा क्षेत्र में राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार से सम्मानित किया गया है

यह है प्रक्रिया

एलोवेरा पौधे की ऊंचाई वाली पत्तियों को काटा जाता है। इसके बाद इन्हें अच्छी तरह धोया जाता है। इसके बाद सेल निर्माण की प्रक्रिया के तहत ऑप्टिमाइज़ कर के इलेक्ट्रोलाइट बनाते हैं।उसके बाद असेंबली लाइन के द्वारा इसे एक सेल का रूप में दिया जाता है। एलोवेरा से सेल बनने तक की प्रक्रिया में 33 से अ?धिक मशीनों का उपयोग किया जाता है। एलोवेरा से निर्मित सेल की क्षमता सामान्य जिंक कार्बन सेल की तुलना में ज्यादा समय तक चलने वाली है एवं पर्यावरण के अनुकूल होने की वजह से देश विदेश में इसकी मांग आ रही है।

मिल चुके है कई पुरस्कार

उन्हें 2019 में श्नाइडर इलेक्ट्रिक द्वारा ग्लोबल विनर्स, 2020 में सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार, 2020 में टाटा पावर द्वारा टेकटॉनिक्स, 2020 में ईओ जीएसईए, 2020 में डीप टेक पायनियर, 2019 और 2020 में महिला उपलब्धि पुरस्कार, 2021 में नीति आयोग द्वारा भारत को बदलती महिलाओ, टीआईडीई 2.0 और अन्य पुरस्कार मिले हैं।

ऐसे आया विचार

निमिशा ने बताया वह जो बना रहे हैं, वो 1.5 वॉल्ट का सेल है, जिसे हम घरेलू उपकरणों में उपयोग करते हैं। देशर में हर साल 230 करोड़ सेल उपयोग के बाद फेंक जाते हैं। देश में इन सेल के लिए कोई संग्रहण तंत्र नहीं है। इन्हें घरेलू कचरे के साथ फेंक दिया जाता है और ये मिट्टी, जल और वायु प्रदूषण करती हैं। इस समस्या को लक्षित करने के लिए उन्होंने इको-फ्रेंडली बैटरी बनाने का सोचा।