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अब खेती के लिए खेत जरूरी नहीं! बूंदी में छत पर बिना मिट्टी के उगाई जा रही सब्जियां, जानिए ऐसा कैसे संभव ?

 
अब खेती के लिए खेत जरूरी नहीं! बूंदी में छत पर बिना मिट्टी के उगाई जा रही सब्जियां, जानिए ऐसा कैसे संभव ?

बूंदी न्यूज़ डेस्क - राजस्थान का बूंदी जिला जिसे धान का कटोरा कहा जाता है, अब सब्जी उत्पादन में भी अपनी पहचान बना रहा है। यहां स्थापित सब्जी उत्कृष्टता केंद्र किसानों को उन्नत तकनीक से खेती करने में मदद कर रहा है। इस केंद्र में किसान अपने बीज लाकर पौधे तैयार कर सकते हैं या सीधे दो रुपए प्रति पौधे की दर से पौधे खरीद सकते हैं। अगर किसान अपने बीज लेकर आते हैं तो उन्हें मात्र एक रुपए में पौधे उपलब्ध करा दिए जाते हैं। यह केंद्र किसानों को ऐसी तकनीक भी सिखा रहा है, जिससे बिना मिट्टी के पानी में सब्जियों की खेती संभव हो रही है। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ रासायनिक खादों पर निर्भरता कम हो रही है और जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रदेश का पहला सब्जी उत्कृष्टता केंद्र
यह प्रदेश का पहला केंद्र है, जो किसानों को सब्जी उत्पादन की नवीनतम तकनीकों से अवगत करा रहा है। इस केंद्र में हाइब्रिड बीज तैयार किए जा रहे हैं, ताकि किसान अधिक उपज ले सकें। जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही खेती के बीच यह तकनीक किसानों के लिए समाधान बनकर उभर रही है। यहां प्रतिकूल मौसम में भी उत्पादन किया जा सकता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।

हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती की नई विधि
केंद्र पर हाइड्रोपोनिक तकनीक के जरिए बिना मिट्टी के पानी में सब्जियां उगाई जा रही हैं। इस प्रक्रिया में छोटी बाल्टियों में पानी भरकर उनमें ऑक्सीजन मोटर लगाई जाती है, जो पानी में ऑक्सीजन पहुंचाती है। इसके बाद बाल्टियों के ढक्कनों में छेद करके पौधे रोपे जाते हैं, ताकि उनकी जड़ें सीधे पानी में डूब जाएं। पौधों को सहारा देने के लिए उनके चारों ओर रेत, मिट्टी और कंकड़ डाले जाते हैं। इस विधि से पौधे एक से दो महीने में पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं और फलदार होकर तैयार हो जाते हैं। इस तकनीक को सीखने के लिए प्रदेश और देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आ रहे हैं।

तकनीक का भविष्य और विस्तार
सब्जी उत्कृष्टता केंद्र के उपनिदेशक दुर्गालाल मौर्य के अनुसार, अभी इस तकनीक को छोटे स्तर पर अपनाया जा रहा है, लेकिन धीरे-धीरे इसे व्यावसायिक रूप देने की योजना है। इसे जयपुर समेत अन्य शहरों में भी लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। जिन किसानों के पास खेती के लिए जमीन नहीं है, वे भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी छतों पर सब्जियां उगा सकते हैं। इस नवाचार से खेती पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है। अगर सरकार इस तकनीक पर सब्सिडी दे तो यह किसानों के लिए क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है और जैविक खेती को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकता है।