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रामगढ़ टाइगर रिजर्व से हटाने की कोशिशें नाकाम, लाखों के मुआवज़े के बावजूद ग्रामीणों ने विस्थापन से किया इनकार

 
रामगढ़ टाइगर रिजर्व से हटाने की कोशिशें नाकाम, लाखों के मुआवज़े के बावजूद ग्रामीणों ने विस्थापन से किया इनकार

प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ़ अभ्यारण्य में गांवों का विस्थापन वन विभाग के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। यहाँ 8 गांवों का विस्थापन होना है, लेकिन ग्रामीण मुआवज़े की राशि से खुश नहीं हैं। उन्होंने गाँव खाली करने से इनकार कर दिया है। केवल 1 गाँव के कुछ ग्रामीणों ने ही रुचि दिखाई है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये खर्च करके मकान बनाए हैं। 15 लाख रुपये से कुछ नहीं होगा। मुआवज़ा राशि बढ़ाई जाए या ज़मीन के बदले ज़मीन दी जाए। ग्रामीणों का कहना है कि जब बाहर रहने वालों को डीएलसी दर से चार गुना मुआवज़ा दिया जा रहा है, तो स्थायी निवासियों को क्यों नहीं? एक ही मामले में अलग-अलग कानून कैसे लागू हो सकते हैं? दरअसल, रामगढ़ के कोर एरिया के 8 गाँवों के 10 हज़ार से ज़्यादा लोगों का विस्थापन होना है। लेकिन 3 साल बाद भी गाँवों के विस्थापन का काम अधूरा है। केवल गुलखेड़ी गाँव के कुछ ग्रामीणों ने ही विस्थापन में रुचि दिखाई है। यह आंकड़ा भी केवल 100 लोगों का है।

ग्रामीण क्यों नहीं मान रहे हैं?

जबकि जंगल में लगातार आवाजाही के कारण वन्यजीव भी आबादी में आ रहे हैं। इसके साथ ही, जंगल के बीच बसे इन गांवों में वन्यजीवों की बढ़ती आवाजाही के कारण लोगों की जान भी खतरे में है। ग्रामीण लगातार मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके पशु, जमीन और मकान समेत सभी चीजों की कीमत उनमें सबसे ज्यादा है। हालांकि, राज्य के अन्य टाइगर रिजर्वों की तुलना में रामगढ़ अभयारण्य में सबसे कम गांवों का विस्थापन होना है। रणथंभौर और सरिस्का में गांवों की संख्या अधिक होने के कारण वहां विस्थापन का काम अटका हुआ है।

इन 8 गाँवों का होगा विस्थापन

बूंदी रामगढ़ अभयारण्य के डीएफओ अरविंद झा ने बताया, "रामगढ़ विषधारी अभयारण्य क्षेत्र को टाइगर कोर एरिया बनाया गया है। इसकी आंतरिक सीमा में 8 गाँव आ रहे हैं। इनमें भेरूपुरा, केशवपुरा, भीमगंज, जावरा, हरिपुरा, गुलखेड़ी, गुढमकाडुका, धुंधलाजी का बाड़ा शामिल हैं। इन गाँवों को अलग-अलग चरणों में धीरे-धीरे विस्थापित किया जाएगा। इसके अलावा, लगभग 35 गाँव अभयारण्य सीमा के बाहरी क्षेत्र में आ रहे हैं, जिनमें मोतीपुरा, लोहारपुरा, पिपलिया, माणक चौक और धोलाई तथा कई राजस्व गाँव शामिल हैं। इन्हें ज़रूरत पड़ने पर ही विस्थापित किया जाएगा।"

इस योजना के तहत, सरकार ने परिवार में पति-पत्नी दोनों को 15-15 लाख रुपये और उनके बच्चों (जिनकी उम्र 21 वर्ष हो) को अलग-अलग 15-15 लाख रुपये मुआवजे के रूप में देने का प्रस्ताव रखा है। वहीं, अगर कोई ज़मीन के बदले ज़मीन या घर के बदले घर लेना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है। लेकिन, उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। हालाँकि, ज़मीन के बदले ज़मीन का प्रावधान अभी स्पष्ट नहीं है।

तीन साल से चल रही है विस्थापन की प्रक्रिया
वन्यजीव संरक्षक विट्ठल कुमार ने बताया कि वन विभाग को विस्थापन की प्रक्रिया शुरू किए तीन साल हो गए हैं। रामगढ़ में गाँव के विस्थापन की प्रक्रिया बेहद धीमी गति से चल रही है, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। इसके साथ ही, रामगढ़ अभ्यारण्य में कर्मचारियों की भारी कमी है।

गुलखेड़ी गाँव में चला बुलडोजर
हाल ही में, वन विभाग ने रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर-1 से विस्थापित परिवारों को टाइगर रिजर्व से बेदखल करने के लिए सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। टाइगर रिजर्व कोर प्रबंधन ने गुलखेड़ी गाँव में 26 विस्थापित परिवारों के मकानों को जेसीबी मशीन से ध्वस्त करने की कार्रवाई की।