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Bundi फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं

 
Bundi फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं

बूंदी न्यूज़ डेस्क, बूंदी काटकर रखी मक्का की फसल में आग लगने से नुकसान हो गया। बूंदी. जिले के उलेड़ा गांव में मक्का की फसल में आग लगने से फसल जल गई। फरियादी तेजमल सुमन ने तहसीलदार को ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में लिखा है कि उलेड़ा में खाते की खेती पर मक्का की फसल कर रखी थी। पांच दिन पहले काटकर खेत पर ही बने हुए मकान पर एकत्र कर रख रखी थी।तेजमल सुमन ने बताया कि वह जरूरी काम आने से होलासपुरा चला गया था। मुझे मेरे भतीजे प्रदीप ने फोन कर सूचना दी। उसने कहा कि मक्का की फसल में आग लग गई है। फरियादी के अनुसार मक्का की फसल में किसी ने जानबूझ कर आग लगाई है। मक्का की सारी फसल जल कर राख हो गई। करीब 60 हजार का नुकसान हुआ है। इस पर किसान ने मुआवजे और कार्रवाई की मांग की है| बूंदी राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कोई किसान खेतों में धान की फसलों के अवशेष नहीं जला पाएगा। अगर किसान ऐसा करता है तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जुर्माना भी कृषि विभाग की ओर से लगाया जाएगा। कृषि विभाग ने फसल के अवशेष का उपयोग खाद के रूप में करने को कहा है। कृषि (विस्तार) विभाग के संयुक्त निदेशक महेशकुमार शर्मा ने बताया कि धान फसल की कटाई कंबाइन हार्वेस्टर से की जा रही है। जिससे जिसके कारण खेतों में फसल अवशेष शेष रह जाते हैं। फसल अवशेष को कल्टीवेटर, रीपर, हैप्पी सीडर, स्ट्रा रीपर से उपयोगी बनाया जा सकता है। फसल के अवशेष को काटकर या टुकड़े कर भूसा या चारा बनाया जाए। ताकि पशुओं के लिए इसको खाने के उपयोग में लिया जा सकता है। फसल अवशेषों को मिट्टी में मिश्रित कर मिट्टी में मिलाने पर यह खाद का काम करती है। फसल के अवशेष जलाने से बेहतर है कि अवशेष को दूसरे उपयोग में लिया जाए। शर्मा ने बताया कि कार्बनिक पदार्थ अधिक होने पर लाभदायक जीवांश पदार्थ की मात्रा बढ़ती है। जो मृदा की उर्वरकता शक्ति हो बढ़ाती है।

यानी कि फसल अवशेषों को जलाने से यह अमूल्य पदार्थ नष्ट हो रहे हैं। फसल अवशेषों को जलाने से मृदा का तापमान बढ़ जाता है। जिसके कारण मृदा में सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। जो कि मृदा जैव विविधता के लिए गंभीर चुनौती है। फसल अवशेष जलाने पर भारी मात्रा में हानिकारक गैस बनती हैं। अवशेष जलाने पर मिथेन, कार्बनडाइ ऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड जैसी गैस निकलती है। जो पूरे वातारण को प्रभावित व प्रदूषित करती है। इससे कैंसर, अस्थमा और अन्य हानिकारक रोग हो सकते हैं। फसल अवशेषों को जलाने से भूमि के मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। जिसके कारण कीटों व फफूंद को नियन्त्रित करते के लिए जहरीले कीटनाशकों को उपयोग करना पड़ता है। जिससे मृदा भी प्रदूषित हो जाती है और किसानों पर उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। खेतों में बचे अवशेष में आग लगाते हैं। अब विभाग जुर्माने की कार्रवाई करेगा। विभागीय अधिकारियों ने बताया गया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नियमानुसार यदि किसानों द्वारा फसल के अवशेष जलाए जाते हैं तो 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों पर 2500 रुपए जुर्माना लगेगा।

वहीं, 2 से 5 एकड़ वाले किसानों पर 5000 रुपए और 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र वाले किसानों पर 15000 रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। प्रदूषण नियंत्रण रोकथाम अधिनियम के तहत फसल अवशेष जलाने पर कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है। यदि किसी भी किसान द्वारा फसल अवशेष जलाए जाते हैं तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। ^किसान अगर खेतों में फसलों के अवशेष जलाएंगे तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सहायक निदेशक कृषि, जिला विस्तार अधिकारी, सीएडी को निर्देशित किया है। इसमें कहा कि अपने फील्ड स्टाफ के माध्यम से किसानों की गोष्ठियों, चौपाल, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में जागरूक किया जाए। इसमें किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने के संबंध में जागरूक कर पाबंद किया जाएगा।