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Bundi विश्व पोहा दिवस आज, जिलेे के मखमल पोहा की प्रदेश भर में मांग

 
Bundi विश्व पोहा दिवस आज, जिलेे के मखमल पोहा की प्रदेश भर में मांग

बूंदी न्यूज़ डेस्क, आज विश्व पोहा दिवस है। छोटीकाशी बूंदी के लोगों के जुबां पर पोहा का स्वाद सिर चढकऱ बोलता है, हालांकि कई वैरायटी के पोहा लोगों कस स्वाद बने हुए है,लेकिन बूंदी के मखमल के पोहे की अलग ही पहचान शहरवासियों में नहीं बल्कि प्रदेश के हर जिले में बनी हुई है। एक अनुमान के अनुसार बूंदी शहरवासी प्रतिमाह 20 टन यानि 20 हजार किलो पोहा खा जाते है। वहीं करीब 700 किलो पोहा प्रतिदिन खा जाते है। शहर के व्यापारियों के अनुसार पोहा की सबसे अधिक खपत महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में होती है। पोहा आयरन की कमी या एनीमिया वाले लोगों के लिए नाश्ते का एक बढिय़ा विकल्प हैं। पोहा के शौकिनों को शहर में अलग-अलग जगहों पर तरह-तरह से पोहा मिलता है। पोहा मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के साथ ही दिल्ली, छत्तीसगढ़, यूपी और राजस्थान में भी खूब खाया जाता है। वैसे तो कहा जाता है पोहा को इंदौर से खास पहचान मिली है। 24 घंटे लोगों को वहां पोहा मिल जाता है। अब राजस्थान में भी पोहा लोग खूब खाने लगे है।

सुबह से देर शाम तक मिल रहा

बूंदी में पोहा खाने के शौकीन खूब मिलेंगे। फैक्ट्री संचालक राकेश झंवर बताते है कि बूंदी के पोहा की दीवानगी का अंदाज इस बात से ही लगाया जा सकता है की शहर में प्रतिमाह 20 टन पोहे की खपत होती है. जहां घर से लेकर ठेलों व होटलों तक में सुबह से लेकर शाम तक सिर्फ और सिर्फ पोहा की डिमांड ही अक्सर लोगों की फरमाइश में होती है। पोहा छोटे से छोटे कार्यक्रम से लेकर शादी-ब्याह एवं अन्य आयोजनों में खूब पंसद किया जाने वाला हल्का नाश्ता है।

हर उम्र की जुबां पर है स्वाद

पोहा बच्चों से लेकर बुजुर्ग यानी हर उम्र के लोग खा सकते हैं। पोहा को जिस तरह से तेल रखकर छौंक लगाया जाता है,वह खाने के स्वाद को बढ़ा देता है। साथ ही इसे जितना सरल विधि से बनाते हैं यह उतना ही पौष्टिक भी होता है। आप चाहे इसे पारंपरिक तौर से मूंगफली, आलू और कड़ी पत्ते के साथ पकाकर नाश्ते में खाएं या फिर शाम के समय स्नैक्स में दही के साथ, पोहा लाखों भारतीयों का पसंदीदा अल्पहार है।