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Bundi बिना प्रशिक्षण के कैंसर यूनिट प्रभारी बना दिया, नहीं मिल रहा उपचार

 
Bundi बिना प्रशिक्षण के कैंसर यूनिट प्रभारी बना दिया, नहीं मिल रहा उपचार

बूंदी न्यूज़ डेस्क, बूंदी जिला चिकित्सालय में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ्य विभाग चिकित्सकों को प्रशिक्षित कर रहा है, जिससे कि गांव-गांव कैंसर मरीज को चिन्हित कर उन्हें समुचित उपचार के लिए हायर सेंटर रेफर किया जा सके। जिले का स्वास्थ्य महकमा इसे लेकर गंभीर नहीं है। जिला चिकित्सालय में कैंसर मरीजों के लिए न तो ओपीडी है और न ही वार्ड की व्यवस्था बनाई गई है। कीमोथैरेपी की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। भले ही जिला चिकित्सालय में कीमोथैरेपी संबंधी डिस्प्ले बोर्ड उपलब्ध है, लेकिन किसी भी चिकित्सक के नहीं बैठने के चलते कीमोथैरेपी के लिए कैंसर मरीजों को बाहर जाना पड़ रहा है।

15-20 हजार एक बार में होता है खर्च

जिला चिकित्सालय में कैंसर मरीजों की कीमोथैरेपी की सुविधा उपलब्ध होने के बाद भी चिकित्सक व स्टाफ नहीं बैठने से लोगों को अन्य शहरों की ओर जाना पड़ रहा है। जानकारों की माने तो एक बार कीमोथैरेपी व दवा में लगभग 15-20 हजार रुपए खर्च होते हैं। इसके अलावा आने-जाने व रुकने सहित अन्य व्यवस्था में अलग से मरीजों को राशि वहन करनी पड़ रही है। यदि लोगों को इसकी जानकारी हो तो वह बिना परेशानी व खर्च के मुख्यालय में ही कीमोथैरेपी करा सकते हैं।

बिना प्रशिक्षण के बना दिया प्रभारी

जानकारी अनुसार पहले कैंसर बीमारी के जिला अस्पताल में डॉ अमित मालव को लगाया था, लेकिन बाद मालव की मौत होने के बाद डॉ शाहिद को प्रभारी बनाया गया।इसके लिए अलग से स्टाफ की नियुक्ति भी की गई, लेकिन जब पत्रिका संवाददाता ने जानकारी की तो चौंकाने वाली बात सामने आई, जिस चिकित्सक को प्रभारी बनाया गया है। उसका प्रशिक्षण ही नहीं हुआ है।ऐसे में कैंसर रोगियों की कीमोथैरेपी होने का सवाल ही नहीं उठता। चिकित्सा विभाग में सिर्फ कागजों में प्रभारी का नाम चल रहा है, लेकिन प्रशिक्षण नहीं होने से धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है। जिले में कैंसर रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है, जिनमें अधिकांश की समय पर इलाज के अभाव में दम तोड रहे हैं। चिकित्सा विभाग की माने तो जिले में इस साल में अब तक मुख कैंसर के 15, ब्रेस्ट कैंसर के 12 और सरवाइकल के 4 रोगी सामने आ चुके हैं।ये आंकड़े तो जिला अस्पताल को मिली जानकारी के अनुसार है।ऐसे कई रोगी है जो हायर सेंटर में जाकर अपना इलाज करवा रहे हैं, जिनका आंकड़ा चिकित्सा विभाग के पास मौजूद नहीं है। मुझे इस मामले की जानकारी नहीं। पीएमओ से इसकी जानकारी की जाएगी। मेरी अभी ट्रेनिंग ही नहीं हुई है।ऐसे में कैसे कीमोथैरेपी कर सकता हूं।