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Bundi जिला अस्पताल ब्लड बैंक का लाइसेंस 21 साल से अटका हुआ

 
Bundi जिला अस्पताल ब्लड बैंक का लाइसेंस 21 साल से अटका हुआ
 बूंदी न्यूज़ डेस्क, बूंदी जिले के सबसे बड़े अस्पताल में 21 साल से ब्लड बैंक के लाइसेंस की दरकार है। अब तक दर्जनों अधिकारी व जनप्रतिनिधी यहां का दौरा भी कर चुके है एवं बैंक की सेवाएं भी ले चुके है, लेकिन किसी ने भी इस कमी को पूरा करने के ठोस जतन नहीं किए। रोजाना सैकड़ों दुर्घटना में घायल मरीजों के लिए रक्त की पूर्ति करने वाला जिला सरकारी अस्पताल का ब्लड बैंक सालों से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है।

सभी प्रक्रिया कर चुके है पूरी

जानकारी के प्रत्येक ब्लड बैंक का संचालन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)के मानकों के हिसाब से किया जाता है, जिसके लिए संबंधित इकाई को वहां से लाइसेंस लेना पड़ता है और इसके लिए टोकन तौर पर थोड़ा-बहुत शुल्क भी लिया जाता है। लाइसेंस जारी करने से पहले और बाद में भी संबंधित विभाग की टीमें ब्लड बैंक का निरीक्षण करती हैं और तय नियम व शर्तो की जांच के बाद अपनी सिफारिश दी जाती है। ऐसे में सभी अस्पतालों को अपना लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए डब्ल्यूएचओ को आवेदन करना पड़ता है, जिसके बाद उच्चस्तरीय अधिकारियों का दल आकर जांच-पड़ताल करता है।

इसमें ब्लड ट्रांसमिशन काउंसिल की टीम भी संबंधित यूनिट का दौरा करती है। यह सभी प्रक्रिया जिला अस्पताल की ब्लड बैंक टीम द्वारा पूरी की जा चुकी है। इसके बावजूद अब तक यहां लाइसेंस जारी नहीं हो पाया है। बूंदी ब्लड के लाइसेंस के लिए नियमित रूप से गाजियाबाद में सम्पर्क किया जा रहा है। जल्द ही लाइसेंस मिलने की संभावना है। जानकारी अनुसार बैंक में लगातार खामियां मिलने के कारण लाइसेंस नवीनीकरण नही हो पा रहा है। मेनपॉवर ( कर्मचारियों) की कमी,सेपरेट काउंसलिंग रूम विथ ले आउट , जीएसआर 166 के तहत एसओपी, स्टेरलिटी टेस्टिंग रिकॉर्ड मेंटेन नही ,स्टेंडर्ड वेट प्रक्रिया के तहत नही,लेबलिंग कार्ड का नही मिलना, ऑटोक्लेव का रिकॉर्ड संधारण नही, एलाइजर रीडर ट्यूबविलर,डोनर कोच आदि मशीनी उपकरण का नहीं मिलना। इन सबकी पूर्ति काफी समय पूर्व कर ली गई है।