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Bundi भैंसखेड़ा को गांधीग्राम बनाया गया, न ही बुनियादी सुविधाएं मिलीं

 
Bundi भैंसखेड़ा को गांधीग्राम बनाया गया,  न ही  बुनियादी सुविधाएं मिलीं

बूंदी न्यूज़ डेस्क,बूंदी अब से 22 साल पहले मॉडल विलेज के रूप में डेवलप करने के लिए बूंदी से 45 किमी दूर फोलाई पंचायत के भैंसखेड़ा गांव को गांधीग्राम बनाया था। विडंबना यह है कि गांव का नाम तो महात्मा गांधी के नाम से हो गया, लेकिन अब तक भी ना तो गांव की सूरत बदली ना ही मूलभूत सुविधाएं विकसित हुईं। गांव में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा जैसी सुविधाओं के लिए भी ग्रामीणों को संघर्ष करना पड़ रहा है।जिस उद्देश्य से नाम रखा गया, वह कागजों में ही बनकर रह गया। फोलाई के तत्कालीन सरपंच राघवेंद्र गौतम ने बताया कि वर्ष 2002 में सरकार ने भैंसखेड़ा गांव को गांधीग्राम बनाया, तब भी गांव में बिजली, पानी, स्कूल, सड़क कुछ नहीं था। तत्कालीन जिला कलेक्टर अमरसिंह ने गांव को मॉडल विलेज के रूप में डेवलप करने के लिए गांधीग्राम में शामिल करवाया था। इसके बाद गांव में पीने के पानी के लिए हैंडपंप, शिक्षा के लिए बेहतर स्कूल भवन व घर-घर बिजली पहुंचाने के लिए अक्षय ऊर्जा योजना से सोलर प्लांट लगाया था।

तब सौर ऊर्जा से रोशन होने वाला जिले का पहला गांव था। इसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के ध्यान नहीं देने से विकास का पहिया थम गया। बिजली पहुंचने के बाद वर्ष 2013 से ही लाखों रुपए की लागत से लगा सोलर प्लांट बंद पड़ा हैं। स्कूल भवन जर्जर हो गया है, स्कूल परिसर में पेड़ के नीचे बच्चों की पढ़ाई हो रही हैं।